कोलकाता के रेड रोड पर हनुमान जयंती के अवसर पर 12 अप्रैल को प्रस्तावित हनुमान चालीसा पाठ कार्यक्रम को अनुमति देने से कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति तिर्थंकर घोष की एकल पीठ ने यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता संस्था ‘हिंदू सेवा दल’ यह स्थापित करने में विफल रही है कि सार्वजनिक स्थल पर इस तरह का धार्मिक आयोजन पूर्व से होता आ रहा है या इसका कोई परंपरागत अधिकार मौजूद है।
याचिकाकर्ता संस्था ने यह याचिका तब दाखिल की जब कोलकाता पुलिस ने 12 अप्रैल की सुबह 5 बजे से 11 बजे तक, लगभग 3,000 लोगों की संभावित उपस्थिति वाले इस कार्यक्रम को अनुमति देने से मना कर दिया था। रेड रोड कोलकाता का एक प्रमुख मार्ग है और इसका कुछ भाग सेना के अधिकार क्षेत्र में आता है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने तर्क दिया कि हनुमान चालीसा पाठ एक धार्मिक अनुष्ठान है जो हनुमान जयंती के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है और इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व है। उन्होंने यह भी कहा कि रेड रोड पर प्रतिवर्ष दुर्गा पूजा जैसे बड़े पैमाने पर धार्मिक कार्यक्रमों को अनुमति दी जाती है। इसके अतिरिक्त, याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सेना से आवश्यक अनुमति पहले ही प्राप्त कर ली गई है।
यह भी तर्क दिया गया कि पुलिस की भूमिका केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखने तक सीमित होनी चाहिए और सुबह-सुबह होने वाले इस आयोजन से सार्वजनिक आवागमन में कोई विघ्न नहीं उत्पन्न होगा।
हालांकि, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जब किसी सार्वजनिक स्थल पर पहली बार कोई धार्मिक आयोजन प्रस्तावित होता है, और प्रशासनिक अनुमति नहीं मिलती, तब ऐसे आयोजन के लिए कानूनी अधिकार स्थापित करना आवश्यक होता है।
न्यायमूर्ति घोष ने कहा, “रेड रोड ही क्यों? परंपरा, संस्कृति? मुझे कोई आपत्ति नहीं, लेकिन आपको अधिकार साबित करने होंगे… मैं इसे स्वीकार नहीं करता… अपने हलफनामे दाखिल कीजिए… मैं पुलिस के मूर्खतापूर्ण कारण भी नहीं सुनूंगा।”
जब याचिकाकर्ता ने यह तर्क दिया कि अन्य समुदायों को इसी स्थान पर आयोजन की अनुमति दी गई है, तो अदालत ने कहा कि ऐसे उदाहरण मात्र से किसी भी समूह को स्वतः अनुमति नहीं मिल सकती जब तक कि स्पष्ट कानूनी या परंपरागत अधिकार स्थापित न हों।
न्यायालय ने कहा, “आपको अपने अधिकार स्थापित करने होंगे। केवल इसलिए कि किसी अन्य समुदाय को अनुमति मिली, इसका अर्थ यह नहीं कि आपको भी मिलनी चाहिए।”
राज्य सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सार्वजनिक सड़कों पर धार्मिक आयोजनों का अधिकार तभी माना जा सकता है जब वह स्थान स्वयं धार्मिक महत्व रखता हो या वहाँ ऐसे आयोजनों की ऐतिहासिक परंपरा हो। सरकार ने धर्म की स्वतंत्रता, सार्वजनिक व्यवस्था और प्रशासनिक संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
न्यायालय ने अंततः अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए दोनों पक्षों को अपने-अपने हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया ताकि याचिकाकर्ता के दावे की वैधता का परीक्षण किया जा सके। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल धार्मिक भावना या अन्य आयोजनों की तुलना के आधार पर किसी सार्वजनिक स्थान पर धार्मिक आयोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती।
नतीजतन, यदि आगे की सुनवाई में याचिकाकर्ता कोई वैध और प्रवर्तनीय अधिकार स्थापित नहीं करता, तो 12 अप्रैल को रेड रोड पर प्रस्तावित हनुमान चालीसा पाठ कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सकेगा।