कलकत्ता हाईकोर्ट ने जादवपुर विश्वविद्यालय को आदेश दिया है कि वह अपने किसी भी कार्यक्रम में राजनीतिक हस्तियों को आमंत्रित न करे। यह आदेश हाल ही में पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु के विश्वविद्यालय दौरे के दौरान उनकी गाड़ी को कथित नुकसान पहुंचने की घटना के मद्देनज़र दिया गया है।
मुख्य न्यायाधीश टी. एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति चैताली चटर्जी (दास) की खंडपीठ ने यह निर्देश देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के कार्यक्रम केवल अकादमिक गतिविधियों तक सीमित रहने चाहिए और शैक्षणिक वातावरण को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त रखा जाना आवश्यक है।
यह निर्देश एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें याचिकाकर्ता ने विश्वविद्यालय परिसर में लगातार बढ़ती अराजकता और अनुशासनहीनता को लेकर चिंता जताई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि यह स्थिति राजनीतिक रूप से जुड़े छात्र संगठनों के कारण उत्पन्न हुई है, जो परिसर में अशांति फैला रहे हैं। विशेष रूप से 1 मार्च को मंत्री बसु की यात्रा के दौरान विरोध प्रदर्शन और एक छात्र के मंत्री की गाड़ी से घायल होने की घटना को लेकर हंगामा हुआ था।

याचिकाकर्ता ने विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने की भी मांग की है, जिसमें राज्य पुलिस या केंद्रीय बलों की तैनाती, कोलकाता पुलिस की निगरानी में एक स्थायी पुलिस चौकी की स्थापना और विशेष जांच दल (SIT) के गठन की मांग शामिल है, ताकि विश्वविद्यालय से जुड़े सभी आपराधिक मामलों की निष्पक्ष जांच की जा सके और छात्रों एवं स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
कोर्ट में विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया कि 15 मार्च को कुलपति की अध्यक्षता में एक वर्चुअल बैठक हुई थी, जिसमें शांति बनाए रखने और संचालन को बेहतर करने के लिए कुछ निर्णय लिए गए। हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय को आदेश दिया है कि वह इन निर्णयों को लागू करने की जानकारी एक हलफनामे के रूप में तीन सप्ताह के भीतर कोर्ट में पेश करे। इसके बाद मामले की अगली सुनवाई होगी।
खंडपीठ ने यह भी कहा कि वर्तमान में विश्वविद्यालय में तैनात निजी सुरक्षा एजेंसियां अपर्याप्त हैं और 2014 से अब तक विश्वविद्यालय से जुड़े कई एफआईआर के मामलों को देखते हुए उनकी प्रभावशीलता पर सवाल उठते हैं।