कलकत्ता हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) को उस एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने की अनुमति दी, जिसमें 2016 की शिक्षक भर्ती घोटाले में “दागी” पाए गए अभ्यर्थियों को आयोग की नई भर्ती प्रक्रिया से बाहर रखने का निर्देश दिया गया था।
जस्टिस सौमेन सेन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार और डब्ल्यूबीएसएससी को अपील दाखिल करने की अनुमति देते हुए आश्वासन दिया कि इस मामले की शीघ्र सुनवाई की जाएगी।
यह घटनाक्रम सोमवार को जस्टिस सौगत भट्टाचार्य द्वारा पारित उस आदेश के बाद सामने आया है, जिसमें उन्होंने निर्देश दिया था कि 2016 की चयन प्रक्रिया में शामिल सभी दागी अभ्यर्थियों को डब्ल्यूबीएसएससी द्वारा 30 मई को जारी ताजा भर्ती अधिसूचना के तहत हो रही चयन प्रक्रिया से बाहर रखा जाए। यह नई भर्ती प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के 17 अप्रैल के आदेश के अनुपालन में शुरू की गई थी, जिसमें 2016 की प्रक्रिया में अनियमितताओं के चलते लगभग 26,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षकीय कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था।

जस्टिस भट्टाचार्य ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी दागी अभ्यर्थी ने 30 मई की अधिसूचना के तहत आवेदन किया है, तो उसका आवेदन स्वतः निरस्त माना जाएगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समयसीमा का कड़ाई से पालन करते हुए चयन प्रक्रिया को निष्कर्ष तक पहुंचाने का निर्देश भी दिया गया।
एकल पीठ के आदेश के बाद आयोग की ओर से पेश अधिवक्ता ने दागी अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति देने के लिए आदेश पर स्थगन की मांग की, लेकिन न्यायालय ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह मांग अस्वीकार कर दी।
30 मई की अधिसूचना में राज्य के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में अपर प्राइमरी स्तर और कक्षा 9 से 12 तक के सहायक शिक्षकों की नियुक्तियों के लिए आवेदन मांगे गए थे। इस अधिसूचना को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क दिया कि पूर्व में अनियमितताओं का लाभ उठाने वाले अभ्यर्थियों को फिर से शामिल करना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है।