बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस माधव जामदार ने दिसंबर 2024 में सुनाए गए एक फैसले को वेबसाइट पर अपलोड करने में हुई देरी के कारणों को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट किया है। उन्होंने बताया कि अत्यधिक कार्यभार और लंबे समय तक कोर्ट चलाने की वजह से यह देरी हुई। 85 पन्नों का यह फैसला 19 दिसंबर 2024 को खुले न्यायालय में सुनाया गया था, जिसे अदालत की वेबसाइट पर 30 मई 2025 को अपलोड किया गया।
यह मामला ‘ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट’ से जुड़ा था, जिसमें जस्टिस जामदार ने यह निर्णय दिया कि यदि किसी संपत्ति पर वाद लंबित है, तो उस दौरान संपत्ति खरीदने वाला खरीदार विशिष्ट निष्पादन (specific performance) के डिक्री से बाध्य होगा।
जज ने आदेश में स्पष्ट रूप से अपने कार्यशैली का उल्लेख करते हुए लिखा,

“चूंकि मैं नियमित कोर्ट समय के बाद लगभग हर दिन 2 से 2.5 घंटे कोर्ट चला रहा हूं, और लगभग सभी कार्यदिवसों में रोज़ के आदेशों को सुधारने और हस्ताक्षर करने के बाद रात 10:30 बजे से 11:30 बजे के बीच चैम्बर छोड़ता हूं, घर पर रात 2:00 बजे तक केस पेपर पढ़ता हूं, सुबह कम से कम एक घंटे तक पेपर पढ़ता हूं और लगभग हर शनिवार, रविवार और छुट्टी के दिन भी चैम्बर में लंबित कार्य निपटाने के लिए आता हूं, इसलिए इस आदेश को अपलोड करने में देरी हुई है।”
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि छुट्टियों में भी वे आराम नहीं करते ताकि लंबित कार्य समय पर पूरा किया जा सके।
इस मामले में कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वाद के लंबित होने के दौरान अगर कोई व्यक्ति संपत्ति खरीदता है, तो वह विशिष्ट निष्पादन की डिक्री से बंधा रहेगा।