बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिशा सालियन मामले में एक मौजूदा जज के खिलाफ अपमानजनक और मानहानिकारक टिप्पणी करने पर वकील निलेश ओझा के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्यवाही शुरू की है। यह टिप्पणी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की गई थी, जो दिशा सालियन की मौत के मामले से जुड़ी थी। दिशा सालियन बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर थीं।
न्यायालय ने पाया कि ओझा ने 1 अप्रैल को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो बयान दिए, वे न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले थे। वकील ओझा, जो दिशा के पिता सतीश सालियन की ओर से अदालत में पेश हो रहे हैं, पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर अदालत की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए सार्वजनिक मंच से न्यायपालिका की छवि खराब करने का प्रयास किया।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति ए.एस. चंदुरकर, एम.एस. सोनक, रवींद्र घुगे और ए.एस. गडकरी भी शामिल थे, ने कहा कि ये बयान न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं और न्याय के प्रशासन में बाधा उत्पन्न करते हैं। अदालत ने इसे “प्रत्यक्षतः अवमाननापूर्ण” करार देते हुए कहा कि यह एक सुनियोजित प्रयास था, जिससे अदालत की साख को बदनाम किया जा सके।
हाईकोर्ट ने यूट्यूब और एक स्थानीय मराठी समाचार चैनल पर प्रसारित उस प्रेस कॉन्फ्रेंस के वीडियो को तुरंत हटाने का आदेश दिया है। साथ ही मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को तय की गई है।
यह मामला ऐसे समय सामने आया है जब सतीश सालियन लगातार अपनी बेटी की जून 2020 में हुई रहस्यमयी मौत की दोबारा जांच की मांग कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में एक याचिका दायर कर शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता आदित्य ठाकरे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और जांच को सीबीआई को सौंपने की मांग की है, जिसमें राजनीतिक हस्तक्षेप और मामले को दबाने के आरोप लगाए गए हैं।
हाईकोर्ट की इस कार्रवाई ने दिशा सालियन की मौत के मामले में एक नई कानूनी बहस को जन्म दे दिया है, जहां अब न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा बनाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मुद्दे भी केंद्र में आ गए हैं।