बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूरे महाराष्ट्र के नगर निकायों से अवैध होर्डिंग्स पर दर्ज FIR और वसूले गए जुर्माने का ब्योरा मांगा; ठाणे निगम को लगाई फटकार

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य के सभी नगर निकायों से यह जानकारी मांगी कि सार्वजनिक सड़कों पर लगाए गए अवैध होर्डिंग्स, बैनरों और पोस्टरों के खिलाफ कितनी FIR दर्ज की गई हैं और अब तक कितना जुर्माना वसूला गया है।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति संदीश पाटिल की पीठ अवैध होर्डिंग्स और बैनरों से सार्वजनिक संपत्ति को बदसूरत बनाने को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने कहा कि वह यह जानना चाहती है कि नगर निगमों और जिला परिषदों ने इन मामलों में जुर्माना वसूलने के लिए क्या कदम उठाए हैं।

पीठ ने गौर किया कि पिछले कई वर्षों से अदालत द्वारा कड़े निर्देश दिए जाने के बावजूद अवैध होर्डिंग्स की समस्या बनी हुई है। पहले, अदालत ने सभी राजनीतिक दलों को यह हलफनामा देने का निर्देश दिया था कि उनके कार्यकर्ता अवैध होर्डिंग्स या बैनर नहीं लगाएंगे। इस पर बीजेपी, कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी और एमएनएस ने अपने undertakings जमा किए थे।

सोमवार को अदालत ने कहा कि अवैध होर्डिंग या पोस्टर लगाने पर लगाया गया जुर्माना सीधे उस व्यक्ति से वसूला जाना चाहिए जिसे राजनीतिक दल की ओर से अधिकृत किया गया हो। पीठ ने यह भी पूछा कि क्या हर नगर निकाय के भीतर इस मुद्दे के लिए अलग विभाग होना चाहिए।

READ ALSO  इमारत ढहने का मामला: हाई कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के विधायक शाहिद मंजूर की गिरफ्तारी पर लगाई रोक

अदालत ने सवाल किया, “कौन-सा निगम कितनी FIR दर्ज कर चुका है, क्या कार्रवाई हुई है, कितना जुर्माना वसूला गया है—ये सभी आंकड़े हमें चाहिए। जुर्माना वसूलने के लिए निगमों ने क्या कदम उठाए हैं? उनका एक्शन प्लान क्या है?”

पीठ ने लातूर नगर निगम की सराहना की, जिसने अवैध होर्डिंग्स पर रोक लगाने के लिए एक प्रभावी व्यवस्था बनाई है। अदालत ने कहा कि लातूर में सार्वजनिक हित के नागरिकों, पुलिस और नगर निगम अधिकारियों को जोड़कर एक व्हाट्सऐप समूह बनाया गया है ताकि त्वरित कार्रवाई हो सके। इसके अलावा, वहां प्रिंटर्स के साथ नियमित बैठकें होती हैं और सभी होर्डिंग्स पर QR कोड अनिवार्य कर दिए गए हैं, ताकि यह पता चल सके कि अनुमति ली गई है या नहीं।

अदालत ने कहा, “लातूर का यह मॉडल अन्य नगर निकाय भी अपना सकते हैं।”

READ ALSO  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने PMLA मामले में यादव सिंह की चार्टर्ड अकाउंटेंट याचिका खारिज कर दी

वहीं, पीठ ने ठाणे नगर निगम (TMC) को कड़ी फटकार लगाई, क्योंकि उसने अब तक यह हलफनामा दाखिल नहीं किया है कि अवैध होर्डिंग्स पर उसने क्या कार्रवाई की, कितनी FIR दर्ज हुईं और किन लोगों पर कार्रवाई की गई।

अदालत ने TMC को अंतिम मौका देते हुए कहा कि यदि हलफनामा अगले सप्ताह तक दाखिल नहीं किया गया, तो वह निगम आयुक्त को तलब करने के लिए बाध्य होगी।

READ ALSO  कंपनी की ओर से किए गए कार्य के लिए सभी निदेशक समान रूप से जिम्मेदार हैं, भले ही निदेशक का लेनदेन से कोई लेना-देना नहीं है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles