बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को शिवसेना विधायक किरण सामंत की सोशल मीडिया के कथित दुरुपयोग को लेकर दायर जनहित याचिका (PIL) पर कोई राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास पहले से ही सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत शिकायत दर्ज कराने का प्रभावी विकल्प मौजूद है।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने कहा कि सामंत की याचिका में मांगी गई राहतें बहुत सामान्य प्रकृति की हैं और उन्होंने आईटी एक्ट के तहत उपलब्ध वैधानिक उपायों को अपनाए बिना सीधे अदालत का रुख किया है।
विधायक सामंत ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि प्रभावशाली लोग, कंटेंट क्रिएटर्स और कॉमेडियन सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर रहे हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में न्यायपालिका और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर अनावश्यक हमले कर रहे हैं। उन्होंने अपने आवेदन में केंद्र सरकार की आईटी मंत्रालय, गूगल और स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा को प्रतिवादी बनाया था।

कामरा पर आरोप था कि उन्होंने हाल ही में मुंबई में अपने शो के दौरान महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं, जिससे विवाद खड़ा हो गया। इस शो का वीडियो मार्च में ऑनलाइन अपलोड किया गया था। इसके बाद कामरा के खिलाफ कई FIR भी दर्ज की गईं।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश अराधे ने मौखिक रूप से कहा, “जिसे याचिकाकर्ता दुरुपयोग मानते हैं, वह दूसरों के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हो सकती है। यह याचिकाकर्ता तय नहीं कर सकते।”
कामरा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खंबाटा ने तर्क दिया कि ऑनलाइन कंटेंट को लेकर शिकायत दर्ज करने के लिए आईटी एक्ट, 2000 और 2009 के ब्लॉकिंग नियमों के तहत पहले से ही स्पष्ट उपाय उपलब्ध हैं।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा सोशल मीडिया पर निगरानी के लिए सेंसरशिप और सतर्कता समिति गठित करने की मांग नीतिगत विषय है, जिसे अदालत द्वारा आदेशित नहीं किया जा सकता।