बॉम्बे हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश से पूर्व सांसद हरिनारायण भगिरथी राजभर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। उन पर सरकारी लेटरहेड और भारत सरकार के प्रतीक चिह्न का दुरुपयोग कर फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करने का गंभीर आरोप है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला केवल एक व्यक्ति से धोखाधड़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि विभिन्न राज्यों में कई पीड़ित इससे प्रभावित हुए हैं।
न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की एकल पीठ ने बुधवार को यह आदेश पारित करते हुए कहा कि इस प्रकार की गतिविधि से न केवल लोगों को गुमराह किया गया, बल्कि सरकारी प्रतिष्ठा का भी दुरुपयोग हुआ है। कोर्ट ने पाया कि मामले में प्रारंभिक जांच से आरोपों की गंभीरता और सबूतों की पुष्टि होती है, जिससे याचिकाकर्ता की हिरासत में पूछताछ आवश्यक प्रतीत होती है।
यह मामला जनवरी 2024 में तब सामने आया जब ठाणे स्थित एक NGO ‘आश्रय’ के प्रमुख देवेंद्र सिंह ने शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि नवंबर 2020 में हरिनारायण राजभर ने MSME एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (MSME EPC) नामक एक निजी संस्था में उन्हें चेयरमैन नियुक्त करने का फर्जी पत्र जारी किया, जिसमें भारत सरकार का प्रतीक चिन्ह और लेटरहेड का प्रयोग किया गया था।
सिंह का कहना है कि यह पत्र सरकारी नियुक्ति जैसा प्रतीत होता है, जबकि संबंधित संस्था एक निजी कंपनी है। बाद में उन्हें एक पहचान पत्र भी दिया गया जिसमें सरकारी प्रतीक था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राजभर ने उन्हें एक मौजूदा सांसद से मिलवाया और नियुक्ति प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए टोयोटा फॉर्च्यूनर गाड़ी उपहार स्वरूप देने को कहा।
NGO की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पांडे ने दलील दी कि यह मामला एक सुनियोजित धोखाधड़ी है और इससे कई लोगों को झूठे सपने दिखाकर गुमराह किया गया है। वहीं अतिरिक्त लोक अभियोजक ऋतुजा ए अंबेकर ने बताया कि हरियाणा और पिंपरी-चिंचवड में भी इसी तरह की शिकायतें मिली हैं, जहां ऐसे ही फर्जी नियुक्ति पत्रों पर राजभर के हस्ताक्षर पाए गए हैं। जांच अधिकारी को अब तक 11 ऐसे पत्र मिले हैं जो विभिन्न राज्यों के लिए जारी किए गए हैं।
राजभर की ओर से अधिवक्ता के.एच. गिरी ने कहा कि उनका मुवक्किल केवल कक्षा 2 तक स्थानीय भाषा में पढ़ा है और उसे अंग्रेजी में लिखे पत्रों की जानकारी नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि जैसे ही राजभर को लेटरहेड के दुरुपयोग का अहसास हुआ, उन्होंने MSME EPC के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया।
हालांकि कोर्ट ने इन दलीलों को स्वीकार नहीं किया और कहा कि अगर किसी ने वास्तव में उनके हस्ताक्षर का दुरुपयोग किया होता, तो उनके खिलाफ कोई शिकायत की जाती, जो इस मामले में नहीं हुई।
न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि “दस्तावेज़ों, आरोपों और पीड़ितों की संख्या को देखते हुए यह मामला अग्रिम जमानत देने योग्य नहीं है।”
हरिनारायण राजभर 1991 से 1992 और 1996 से 2002 तक बेल्थरा रोड से भाजपा विधायक रहे और उत्तर प्रदेश सरकार में जेल, ग्राम विकास और ग्रामीण अभियंत्रण सेवा मंत्री भी रहे। वे 2014 से 2019 तक घोसी से भाजपा सांसद भी रहे।