बॉम्बे हाईकोर्ट ने योगी आदित्यनाथ पर आधारित फिल्म के सर्टिफिकेशन में देरी पर CBFC को फटकार लगाई, बोर्ड ने दो दिन में निर्णय का दिया आश्वासन

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित फिल्म के सर्टिफिकेशन आवेदन में अनावश्यक देरी को लेकर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब निर्माता प्राथमिकता शुल्क का भुगतान कर चुके हैं, तब बोर्ड ऐसे आवेदनों को लंबित नहीं रख सकता।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने CBFC की निष्क्रियता पर नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि बोर्ड ने सिनेमैटोग्राफ एक्ट, 1952 और सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणीकरण) नियम, 2024 के तहत निर्धारित समयसीमा का पालन नहीं किया।

पीठ ने टिप्पणी की, “आप आवेदन पर बैठे नहीं रह सकते, विशेषकर जब आवेदक ने प्राथमिकता शुल्क चुका दिया हो। आवेदन पर निर्णय लिया जाना चाहिए।”

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कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद CBFC ने bench को सूचित किया कि वह दो दिनों के भीतर आवेदन पर निर्णय लेकर फिल्म निर्माताओं को सूचित करेगा। बोर्ड के इस आश्वासन को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने ‘अजय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ अ योगी’ फिल्म के निर्माता सम्राट सिनेमेटिक्स द्वारा दायर याचिका को निस्तारित कर दिया।

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यह फिल्म “The Monk Who Became Chief Minister” पुस्तक से प्रेरित बताई जाती है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित है। इसका प्रदर्शन 1 अगस्त को प्रस्तावित था।

अपनी याचिका में सम्राट सिनेमेटिक्स ने आरोप लगाया कि CBFC ने फिल्म, टीज़र, ट्रेलर और प्रचार गीत के प्रमाणन आवेदन को मनमाने और अनुचित ढंग से बिना कारण लंबित रखा, जबकि उन्होंने बोर्ड की प्राथमिकता योजना के तहत तीन गुना शुल्क अदा कर दोबारा आवेदन भी किया।

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वरिष्ठ अधिवक्ता रवि कदम, अधिवक्ता सतत्य आनंद और निखिल अराधे ने अदालत को बताया कि नियमों के अनुसार आवेदन पर पांच कार्यदिवस में निर्णय लिया जाना चाहिए। इसके बावजूद, 5 जून 2025 को पहले आवेदन के बाद लगभग एक महीने तक कोई स्क्रीनिंग निर्धारित नहीं की गई। 7 जुलाई को एक प्राथमिकता स्क्रीनिंग तय की गई थी, जिसे एक दिन पहले बिना कोई कारण बताए रद्द कर दिया गया।

निर्माताओं ने CBFC द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) की मांग पर भी आपत्ति जताई, जिसे उन्होंने “त्रुटिपूर्ण, अप्रासंगिक और निराधार” बताया। याचिका में कहा गया कि “CBFC की NOC की मांग पूरी तरह से अवैध है और सर्टिफिकेशन प्रक्रिया के दायरे से बाहर है।”

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