बॉम्बे हाईकोर्ट ने रायगढ़ जिले के नांदगांव गांव के सरपंच आशीष सावंत को फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर चुनावी लाभ लेने के प्रयास पर कड़ी फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ ने सावंत की याचिका को खारिज करते हुए उनके आचरण को “संवैधानिक धोखा” करार दिया और ₹5 लाख का जुर्माना लगाया।
यह मामला 2024 के ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान सामने आया, जब चुनाव में सावंत के प्रतिद्वंद्वी जलिंदर खैरे ने रायगढ़ जिला जाति जांच समिति के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत में सावंत के कुंभी (अन्य पिछड़ा वर्ग) जाति होने के दावे पर आपत्ति जताई गई थी।
समिति ने विस्तृत जांच के बाद पाया कि सावंत ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जाति प्रमाणपत्र हासिल किया था, जिसमें जून 1982 में उनके पिता के नाम से जारी एक जाली स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र भी शामिल था। रायगढ़ जिला परिषद स्कूल, विठलवाड़ी के प्रधानाध्यापक और पुलिस सतर्कता शाखा ने पुष्टि की कि ऐसा कोई प्रमाणपत्र कभी जारी नहीं किया गया था और सावंत के पिता का नाम स्कूल के रजिस्टर में नहीं था।

जांच में यह भी सामने आया कि सावंत ने जानबूझकर नांदगांव के एक अन्य स्कूल की प्रवेश रजिस्टर की जानकारी छिपाई, जिसमें उनकी जाति “हिंदू मराठा” दर्ज थी — जो कि ओबीसी श्रेणी में नहीं आती। समिति ने सावंत को तीन बार सुनवाई का अवसर दिया, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए।
इसके बाद सावंत ने हाईकोर्ट में यह दलील दी कि उन्हें समुचित सुनवाई नहीं मिली और उनके दस्तावेजों की ठीक से जांच नहीं की गई। हाईकोर्ट ने उनकी इन दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सावंत ने समाज के कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित लाभों का अनुचित लाभ उठाने की कोशिश की। न्यायालय ने टिप्पणी की कि ऐसा आचरण आरक्षण व्यवस्था के उद्देश्य को ही नष्ट करता है।
“याचिकाकर्ता का आचरण संवैधानिक धोखे से कम नहीं है,” न्यायालय ने कहा और उनकी याचिका खारिज करते हुए ₹5 लाख का जुर्माना जमा करने का निर्देश दिया।