बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को स्कूलों में बाल सुरक्षा दिशानिर्देश अंतिम रूप देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए तैयार किए गए मसौदा दिशानिर्देशों को एक सप्ताह के भीतर अंतिम रूप दे और अधिसूचित करे। यह निर्देश उस मामले की सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें पिछले वर्ष बदलापुर में दो नाबालिग बच्चियों के साथ हुए यौन शोषण के बाद अदालत ने स्वतः संज्ञान लिया था।

मुख्य न्यायाधीश रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए बताया कि राज्य के शिक्षा विभाग ने पहले ही इन दिशानिर्देशों का मसौदा तैयार कर लिया है और मंत्रीमंडलीय स्वीकृति मिल चुकी है। अब केवल न्यायिक अनुमोदन बाकी है।

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गौरतलब है कि उक्त घटना के बाद सरकार द्वारा गठित 18-सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर ये दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं। अदालत ने अधिवक्ता रेबेका गोंसाल्वेस को अमीकस क्यूरी (न्यायमित्र) नियुक्त किया था ताकि मसौदा सरकारी प्रस्ताव विधिक दृष्टिकोण से संतुलित और पर्याप्त हो।

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सुनवाई के दौरान अदालत ने यह भी कहा कि स्कूलों में प्रशिक्षित काउंसलर की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसके साथ ही, सार्वजनिक (सरकारी) स्कूलों में इन उपायों को लागू करने के लिए सरकार को वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए, जबकि निजी स्कूल अपने संसाधनों से व्यवस्था करें।

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हाईकोर्ट ने सरकार को इन दिशानिर्देशों के अंतिम प्रकाशन के बाद उन्हें लागू करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है, जिसमें गर्मी की छुट्टियों को ध्यान में रखा गया है। इसके अलावा, अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य सरकार स्कूलों का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करे कि सभी संस्थान निर्धारित सुरक्षा मानकों का पालन कर रहे हैं।

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