बॉम्बे हाईकोर्ट ने ठाणे जिला कलेक्टर को कुलगांव-बदलापुर नगर परिषद क्षेत्र का निरीक्षण करने का आदेश दिया है, जहां untreated सीवेज को सीधे उल्लास नदी में छोड़े जाने के गंभीर आरोप लगे हैं। यह नदी ठाणे, कल्याण-डोंबिवली और उल्हासनगर जैसे शहरों के लिए प्रमुख पेयजल स्रोत है।
यह आदेश मंगलवार को जस्टिस जी.एस. कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। यह याचिका स्थानीय निवासी यशवंत भोईर द्वारा दायर की गई थी, जिसमें नगर परिषद क्षेत्र में उचित सीवरेज व्यवस्था न होने और इससे उत्पन्न गंभीर पर्यावरणीय व जनस्वास्थ्य संकट का मुद्दा उठाया गया।
कोर्ट को बताया गया कि कुलगांव-बदलापुर नगर परिषद के पास न तो कार्यशील सीवरेज नेटवर्क है और न ही कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट। इसके चलते सेप्टिक टैंक समेत गंदा पानी सीधे उल्लास नदी में बहाया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि एक बड़े रिहायशी परिसर को अधूरी स्वच्छता व्यवस्था के बावजूद ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया, जबकि उसका कोई भी कनेक्शन नगर परिषद की सीवरेज प्रणाली से नहीं था।

कोर्ट ने इसे “पर्यावरण कानूनों का घोर उल्लंघन” बताते हुए नगर परिषद की विफलता पर कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने कहा, “यहां लगभग 5 लाख की आबादी है, लेकिन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक मौजूद नहीं है,” जो बुनियादी ढांचे की घोर कमी को दर्शाता है।
हाईकोर्ट ने नगर परिषद के अधिकारियों को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है, जिसमें याचिका में लगाए गए आरोपों का जवाब देना होगा। साथ ही, जिस रिहायशी परिसर का जिक्र किया गया है, उसके बिल्डर को भी नगर निगम की मंजूरी के अधीन तात्कालिक सुधारात्मक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
कोर्ट ने ठाणे जिला कलेक्टर को निर्देशित किया है कि वह उक्त क्षेत्र का स्थल निरीक्षण करें, वहां सीवरेज व्यवस्था की अनुपस्थिति की जांच करें और गंदे पानी के नदी में बहाए जाने की पुष्टि करें। इसके साथ ही इलाके में स्वास्थ्य और स्वच्छता की स्थिति की भी समीक्षा की जाए। निरीक्षण के दौरान हाईकोर्ट का एक अधिकारी भी मौजूद रहेगा और अगली सुनवाई में (17 जुलाई को) एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाएगी।