बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार और लोनावला नगर परिषद को निर्देश दिया कि वे लोनावला-खंडाला क्षेत्र में ठोस कचरा प्रबंधन, जल निकासी, सड़क मरम्मत और रखरखाव जैसे नागरिक बुनियादी ढांचे में तत्काल सुधार करें और सभी अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराध्ये और न्यायमूर्ति संदीप मर्ने की खंडपीठ ने यह आदेश लोनावला-खंडाला सिटिजंस फोरम की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया। यह फोरम स्थानीय निवासियों का एक संगठन है जिसने इन हिल स्टेशनों में बेतरतीब और अनियंत्रित विकास, अवैध निर्माण, जल आपूर्ति, सीवरेज, कचरा प्रबंधन और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के बिगड़ते हालात को लेकर अदालत का रुख किया था।
अदालत ने टिप्पणी की, “लोनावला-खंडाला मुंबई और पुणे के लोगों के लिए लोकप्रिय वीकेंड डेस्टिनेशन हैं, लेकिन यदि इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी की रक्षा नहीं की गई, तो इसका सारा आकर्षण समाप्त हो जाएगा।”

न्यायालय ने 2014 में गठित तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के निरंतर संचालन पर चिंता जताते हुए कहा कि यह व्यवस्था अनिश्चितकाल तक नहीं चल सकती। इसके साथ ही अदालत ने नगर परिषद को निर्देश दिया कि वह एक नया विकास योजना (डेवलपमेंट प्लान) तैयार करे और तब तक 2014 की समिति कार्यरत रहेगी।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नए निर्माण कार्यों को क्षेत्र की वर्तमान आधारभूत सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए ही अनुमति दी जानी चाहिए। साथ ही विकास नियंत्रण विनियमों (DCR) को भी यथाशीघ्र अद्यतन करने के निर्देश दिए गए।