बॉम्बे हाईकोर्ट ने पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को निर्देश दिया है कि वे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को संयुक्त रूप से ₹386 करोड़ का भुगतान करें। यह आदेश 2011 में BCCI और अब दिवालिया हो चुकी निम्बस कम्युनिकेशंस के बीच हुए मीडिया राइट्स समझौते से जुड़े विवाद में जारी किया गया है।
न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की एकल पीठ ने BCCI द्वारा दायर उस वाद में यह आदेश पारित किया, जिसमें बोर्ड ने निम्बस द्वारा जारी बैंक गारंटी की राशि की वसूली की मांग की थी। बैंकों ने भुगतान से इनकार कर दिया था, जिसके चलते BCCI ने अदालत का रुख किया।
अदालत के आदेश के अनुसार, पंजाब नेशनल बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया प्रत्येक को कुल राशि का 37.5% और इंडियन बैंक को शेष 25% का भुगतान करना होगा। इसके अलावा, तीनों बैंकों को BCCI के मुकदमेबाजी खर्च के लिए ₹25 लाख-₹25 लाख का अतिरिक्त भुगतान भी करना होगा।

विवाद वर्ष 2009 के मीडिया राइट्स लाइसेंस एग्रीमेंट (MRLA) से जुड़ा है, जिसके तहत BCCI ने निम्बस को अप्रैल 2010 से मार्च 2014 तक भारत में क्रिकेट मैचों के प्रसारण का विशेष अधिकार ₹2,000 करोड़ की राशि में दिया था। समझौते के तहत निम्बस को पूरे अनुबंध मूल्य की बैंक गारंटी देनी थी।
शुरुआती चरणों में कुछ बैंक गारंटियां भुनाई गईं, लेकिन बाद में निम्बस भुगतान करने में विफल रही, जिससे BCCI ने दिसंबर 2011 में समझौता समाप्त कर दिया। इसके बाद BCCI ने ₹1,600 करोड़ की शेष बैंक गारंटियां भुनाने की मांग की, जिसे बैंकों ने अनुबंध समाप्त होने का हवाला देते हुए अस्वीकार कर दिया।
BCCI ने दलील दी कि बैंक गारंटी बिना शर्त और मांग पर देय है, भले ही मूल अनुबंध को लेकर कोई विवाद हो। वहीं, बैंकों का कहना था कि अनुबंध समाप्ति के आधार पर वे भुगतान से इनकार कर सकते हैं।
न्यायमूर्ति मनीष पिटाले ने बैंकों की इस दलील को खारिज कर दिया। अपने फैसले में उन्होंने कहा, “ये शब्द स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि प्रतिवादी बैंकों ने बिना शर्त अपनी प्रतिबद्धता निभाने और BCCI द्वारा गारंटी के आह्वान पर भुगतान करने की सहमति दी थी।”