बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस उस याचिका पर जारी किया गया है जिसमें राज्य सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी गई है जिसके तहत 11 अगस्त 2023 के बाद नायब तहसीलदारों द्वारा जारी सभी जन्म प्रमाण पत्र रद्द करने का आदेश दिया गया था।
अदालत ने 9 सितंबर को पारित आदेश में राज्य सरकार, मुख्य सचिव और ज़िलाधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। यह नोटिस एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) द्वारा दायर याचिका पर जारी किया गया।
याचिका में 12 मार्च 2024 को जारी सरकारी संकल्प (GR) और 17 मार्च को पारित आदेश को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह निर्णय “मनमाना, अवैध और जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 2023 तथा संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन” है।

एपीसीआर के महासचिव शाकिर शेख ने अदालत को बताया कि इस आदेश से आम नागरिकों, खासकर गरीब और वंचित वर्ग को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जन्म प्रमाण पत्र आधार, मतदाता पहचान पत्र, स्कूल दाखिले और पासपोर्ट जैसी ज़रूरी सेवाओं के लिए अनिवार्य हैं। उन्होंने कहा कि 17 मार्च के आदेश के तहत बिना सुनवाई का अवसर दिए हज़ारों प्रमाण पत्र रद्द कर दिए गए, जिससे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ।
एपीसीआर की ओर से अधिवक्ता फिरदौस मिर्ज़ा, सैयद ओवस अहमद, एफ. काशिफ़ और शोएब इनामदार ने मामले की पैरवी की।
यह आदेश भाजपा नेता किरीट सोमैया के दावों के बाद जारी किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि बांग्लादेशी नागरिकों ने हज़ारों फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाकर खुद को भारतीय नागरिक दिखाने की कोशिश की। इन्हीं आरोपों के आधार पर राज्य सरकार ने 11 अगस्त 2023 के बाद जारी सभी जन्म प्रमाण पत्र रद्द करने का निर्देश दिया था।
अब हाईकोर्ट राज्य सरकार की प्रतिक्रिया पर विचार करने के बाद आगे की कार्यवाही करेगा।