बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के दो सरकारी अस्पतालों में मरीजों की मौतों में हुई अचानक बढ़ोतरी को गंभीरता से लेते हुए न्यायिक जांच शुरू की है। खासतौर पर नवजात शिशुओं की मौतों की संख्या में वृद्धि के बाद अदालत ने चिकित्सा विशेषज्ञों की एक समिति गठित की है, जो इन घटनाओं की जांच करेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के उपाय सुझाएगी।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम. एस. कर्णिक की खंडपीठ ने अक्टूबर 2023 में नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर जिलों के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में हुई मौतों पर गहरी चिंता जताई। विशेष रूप से नांदेड़ अस्पताल में कुछ ही दिनों में 31 लोगों की मौत हुई, जिनमें 16 नवजात शामिल थे, जबकि छत्रपति संभाजीनगर अस्पताल में मात्र दो दिनों में 18 मौतें हुईं, जिनमें शिशु भी शामिल थे।
इन घटनाओं के बाद कई जनहित याचिकाएं दायर की गईं, जिसके बाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले में हस्तक्षेप किया। हालांकि राज्य सरकार ने पहले अदालत को बताया था कि यह मौतें किसी भारी लापरवाही का परिणाम नहीं थीं, बल्कि गंभीर स्थिति में निजी अस्पतालों और छोटे क्लीनिकों से रेफर किए गए मरीजों की अधिक संख्या के कारण ऐसा हुआ, फिर भी अदालत ने विशेषज्ञ जांच को आवश्यक माना।

मुख्य न्यायाधीश अराधे ने सुनवाई के दौरान कहा, “यह अत्यंत गंभीर मामला है और इसकी गहन जांच आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।”
न्यायालय द्वारा गठित समिति में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के सचिव, स्वास्थ्य विज्ञान और चिकित्सा शिक्षा के निदेशक, मुंबई स्थित जे. जे. अस्पताल के डीन और प्रभावित जिलों के अस्पतालों के डीन शामिल हैं।
इस समिति को इन अस्पतालों की बुनियादी संरचना, चिकित्सा सुविधाएं और संचालन से जुड़ी चुनौतियों की जांच कर दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें तात्कालिक और दीर्घकालिक सुधारों के सुझाव शामिल होंगे।