बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को आदेश जारी कर राज्य में चिकित्सा अवसंरचना के लिए उसके खर्च और बजट आवंटन का विस्तृत ब्यौरा मांगा है। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ द्वारा जारी निर्देश में सरकारी अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों में चिकित्सा, पैरा-मेडिकल और गैर-चिकित्सा कर्मचारियों की मौजूदा रिक्तियों के बारे में भी जानकारी मांगी गई है।
यह न्यायिक जांच कई याचिकाओं के बीच हुई है, जिनमें से कुछ खुद अदालत द्वारा शुरू की गई हैं, जिसमें पिछले साल नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर जिलों में सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में मौतों पर चिंता जताई गई है। याचिकाकर्ताओं ने सरकार पर चिकित्सा उपकरणों और अवसंरचना विकास के लिए निर्धारित धन का पर्याप्त उपयोग करने में विफल रहने का आरोप लगाया है।
अदालत के अनुरोध में विशेष रूप से एक जिम्मेदार राज्य अधिकारी से हलफनामा मांगा गया है जिसमें कुल बजटीय आवंटन बनाम वास्तविक व्यय का विवरण दिया गया हो। इसके अलावा, यदि कोई खर्च नहीं किया गया है, तो हलफनामे में इस कम उपयोग के कारणों की व्याख्या करनी चाहिए।
कार्यवाही के दौरान, याचिकाकर्ताओं ने इन मुद्दों के लिए एक योगदान कारक के रूप में विभिन्न अस्पतालों में स्टाफ की गंभीर कमी का हवाला दिया। इसके जवाब में उच्च न्यायालय ने अपने पिछले आदेश को दोहराते हुए राज्य सरकार को इन रिक्तियों पर शीघ्रता से विचार करने का निर्देश दिया।