बॉम्बे हाईकोर्ट ने कस्टम अधिकारियों की उस कार्यप्रणाली की कड़ी आलोचना की है, जिसमें उन्होंने आयातकों को माल की दोबारा जांच कराने की अनुमति देने वाली कारोबारी सहूलियत नीति का विरोध किया। अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि नवी मुंबई के एक व्यापारी से जब्त काजू खेप के नए नमूने लेकर उन्हें स्वतंत्र जांच के लिए भेजा जाए।
यह मामला 24 वर्षीय व्योम रायचन्ना से जुड़ा है, जो वाशी स्थित ट्रिनिटी एग्रो प्रोडक्ट्स के मालिक हैं। मार्च और अप्रैल 2025 में उनके काजू के खेप को कस्टम ने जब्त किया था। केरल स्थित एक लैब ने माल को अनुपयोगी बताया, लेकिन रायचन्ना ने परिणामों को चुनौती दी। उन्होंने तर्क दिया कि महाराष्ट्र की प्रयोगशालाओं में जांचे गए पहले के खेप मानव उपभोग योग्य पाए गए थे। उन्होंने 2017 के उस सरकारी परिपत्र का हवाला दिया जिसमें आयातकों को नमूनों की दोबारा जांच कराने का अधिकार दिया गया है।
कस्टम अधिकारियों ने उनकी मांग यह कहकर ठुकरा दी कि आवेदन देर से किया गया है और केवल पुराने नमूनों के अवशेषों की ही जांच संभव है।

जस्टिस एम.एस. सोनक और जस्टिस अद्वैत एम. सेठना की खंडपीठ ने अधिकारियों के रवैये पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा:
“हमें आश्चर्य है कि कस्टम अधिकारी इस उत्पाद की पुनः जांच का इतना विरोध क्यों कर रहे हैं। ऐसा विरोध 28 जुलाई 2017 की सार्वजनिक अधिसूचना में निहित दिशानिर्देशों की भावना से मेल नहीं खाता।”
न्यायाधीशों ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है, लेकिन जब इन्हें लागू करने की बात आती है तो अधिकारी ही बाधा खड़ी कर देते हैं।
अदालत ने आदेश दिया कि पाँच दिनों के भीतर रायचन्ना की मौजूदगी में ताज़ा नमूने लिए जाएं और उन्हें नई दिल्ली स्थित सेंट्रल रेवन्यूज़ कंट्रोल लेबोरेटरी (CRCL) में स्वतंत्र जांच के लिए भेजा जाए। लैब को एक महीने के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।
साथ ही, रायचन्ना को आवश्यक कानूनी औपचारिकताओं के पालन के बाद अपने माल की अस्थायी रिहाई की अनुमति भी दी गई है।