बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) से उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित एक फिल्म को प्रमाणपत्र देने में हो रही कथित देरी को चुनौती दी गई है। अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि CBFC कानून द्वारा निर्धारित समयसीमा के भीतर प्रमाणपत्र जारी करने के लिए बाध्य है और इससे पीछे नहीं हट सकता।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोकले की खंडपीठ सम्राट सिनेमैटिक्स द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह प्रोडक्शन हाउस फिल्म “अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी” बना रहा है, जो किताब “द मोंक हू बिकेम चीफ मिनिस्टर” से प्रेरित बताई गई है। फिल्म 1 अगस्त को रिलीज़ होने वाली है, लेकिन अभी तक इसे प्रमाणन नहीं मिल पाया है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि CBFC ने फिल्म, टीज़र, ट्रेलर और प्रमोशनल सॉन्ग के प्रमाणन में मनमानी, अनुचित और अकारण देरी की है। निर्माता पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रवि कदम, सतत्या आनंद और निखिल अराधे ने अदालत को बताया कि अभी तक फिल्म या अन्य प्रचार सामग्री की स्क्रीनिंग के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई है।

फिल्म निर्माताओं ने 5 जून 2025 को पहली बार मुख्य फिल्म के प्रमाणन के लिए आवेदन किया था। सिनेमा प्रमाणन नियम, 2024 के नियम 37 के तहत CBFC को सात दिनों के भीतर आवेदन की जांच करनी होती है और 15 दिनों के भीतर फिल्म को स्क्रीनिंग के लिए भेजना होता है। याचिका में कहा गया है कि इसके बावजूद लगभग एक महीने तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इसके बाद 3 जुलाई को निर्माताओं ने CBFC अधिकारियों की सलाह पर ‘प्राथमिकता योजना’ के तहत तीन गुना शुल्क देकर दोबारा आवेदन किया। 7 जुलाई को स्क्रीनिंग निर्धारित की गई थी, लेकिन एक दिन पहले ही बिना कोई कारण बताए रद्द कर दी गई और उसके बाद कोई संचार नहीं हुआ।
याचिका में CBFC द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) की मांग को भी “त्रुटिपूर्ण, असंगत और निराधार” बताया गया है। निर्माताओं ने कहा है कि कानून में ऐसी किसी शर्त का उल्लेख नहीं है।
सुनवाई के दौरान CBFC के एक अधिकारी ने वकील नियुक्त करने के लिए समय मांगा। अदालत ने यह मांग स्वीकार करते हुए CBFC को नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई 17 जुलाई को निर्धारित की है।