एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, भारतीय बार काउंसिल (BCI) ने कानूनी समुदाय से अपील की है कि वे प्रस्तावित एडवोकेट्स (संशोधन) विधेयक, 2025 को लेकर हड़ताल करने के बजाय सरकार के साथ रचनात्मक संवाद स्थापित करें।
यह अपील बीसीआई और सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच विस्तृत चर्चा के बाद आई है, जिसमें केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल थे। ये चर्चाएं प्रस्तावित संशोधन विधेयक को लेकर की गईं, जिसका उद्देश्य कानूनी समुदाय की चिंताओं का समाधान करना है।
आज शाम हुई बैठकों के दौरान, बीसीआई ने विधेयक के मसौदे को लेकर अपनी आशंकाएं और अपेक्षाएं स्पष्ट कीं। इस पर कानून मंत्री ने आश्वासन दिया कि विधेयक को लागू करने से पहले सभी विवादास्पद मुद्दों की गहराई से समीक्षा की जाएगी और कोई भी ऐसा प्रावधान पारित नहीं किया जाएगा जो वकीलों के पेशे या उनकी स्वायत्तता के खिलाफ हो।
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बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सरकार के सकारात्मक रुख और कानूनी पेशेवरों के सुझावों पर उसके सहयोगात्मक दृष्टिकोण की सराहना की। इन परिस्थितियों को देखते हुए, बीसीआई ने सभी बार एसोसिएशनों और राज्य बार काउंसिलों से किसी भी प्रकार की हड़ताल या विरोध प्रदर्शन से बचने का अनुरोध किया, जिससे न्यायिक कार्यों में बाधा न आए।
23 फरवरी 2025 को सभी राज्य बार काउंसिलों की बैठक निर्धारित की गई है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। बीसीआई ने कहा कि यदि भविष्य में विरोध की आवश्यकता पड़ी, तो राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन का निर्णय लिया जाएगा। लेकिन फिलहाल सरकार का रुख सकारात्मक है, इसलिए किसी भी हड़ताल की जरूरत नहीं है।
इसके अलावा, बीसीआई ने दिल्ली की सभी जिला बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति (Coordination Committee) से आग्रह किया है कि वे इस संदेश को प्रभावी ढंग से अपने सदस्यों तक पहुंचाएं और कल से सभी अदालतों में कामकाज सामान्य रूप से बहाल करने में सहयोग करें।
इस घटनाक्रम से संकेत मिलता है कि सरकार और कानूनी समुदाय के बीच संतुलित संवाद स्थापित करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे वकीलों के हितों की रक्षा के साथ-साथ न्यायिक कार्यप्रणाली भी सुचारू बनी रहे।