बार एसोसिएशनों ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के तबादले को रद्द करने और आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग की

दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद देशभर की कई बार एसोसिएशनों ने भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना से कड़े कदम उठाने की अपील की है। इलाहाबाद, कर्नाटक, केरल, गुजरात और लखनऊ की बार एसोसिएशनों ने संयुक्त रूप से न्यायमूर्ति वर्मा के हालिया तबादले को रद्द करने और उनके सभी प्रशासनिक कार्यों को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने न्यायिक कर्तव्यों से भी उन्हें निलंबित करने का अनुरोध किया है।

इन एसोसिएशनों द्वारा जारी संयुक्त बयान में सीजेआई खन्ना द्वारा पारदर्शिता की दिशा में उठाए गए कदमों, विशेष रूप से दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के निर्णय की सराहना की गई है। हालांकि, उन्होंने साक्ष्यों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “जिस प्रकार किसी भी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक कानून तुरंत लागू होता है, वैसा ही इस मामले में भी होना चाहिए था। दुर्भाग्यवश, साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ या उन्हें नष्ट करने की छूट दे दी गई, जिससे किसी भी सह-अभियुक्त के खिलाफ अभियोजन की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।”

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न्यायमूर्ति वर्मा के मामले की दोबारा समीक्षा के साथ-साथ इन बार एसोसिएशनों ने उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की जवाबदेही के मानकों की व्यापक समीक्षा की भी मांग की है। उन्होंने ‘बेंगलुरु सिद्धांत, 2002’ का हवाला दिया, जो न्यायाधीशों से अपेक्षा करता है कि वे ऐसा आचरण करें जिससे न्यायपालिका की निष्पक्षता और स्वतंत्रता में जनता का विश्वास बना रहे और वह मजबूत हो।

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बयान में यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि न्यायमूर्ति वर्मा का तबादला आदेश रद्द नहीं किया गया तो इलाहाबाद में सभी एसोसिएशन अध्यक्षों की बैठक बुलाई जा सकती है, ताकि इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को समर्थन दिया जा सके।

इन सभी मुद्दों पर संज्ञान लेते हुए पिछले सप्ताह प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की विस्तृत जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.एस. संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं।

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यह पूरा मामला होली के दिन घटित हुआ, जब न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक आवास पर आग लगने की घटना हुई। आग पर काबू पाने पहुंचे पहले उत्तरदाताओं को वहां नकदी मिलने की जानकारी हुई, जबकि घटना के समय न्यायमूर्ति वर्मा घर पर मौजूद नहीं थे।

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