वक़्फ़ एक्ट संशोधन के खिलाफ असदुद्दीन ओवैसी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

एक अहम क़ानूनी कदम उठाते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक़्फ़ एक्ट में किए गए हालिया संशोधनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। यह वक़्फ़ संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों — लोकसभा और राज्यसभा — से पारित हो चुका है और अब इसे क़ानून बनने के लिए राष्ट्रपति की मंज़ूरी का इंतज़ार है।

ओवैसी की याचिका में संविधान के अनुच्छेद 26 का हवाला दिया गया है, जो धार्मिक समुदायों को अपने धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने का अधिकार देता है। उनका तर्क है कि संशोधन वक़्फ़ को वे संरक्षण छीनता है जो हिंदू, जैन और सिख धार्मिक व धर्मार्थ न्यासों को मिलते हैं। यह, ओवैसी के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

संशोधन की आलोचना इस आधार पर भी की गई है कि यह अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रबंधन करने के अधिकार (अनुच्छेद 30) का भी हनन करता है। याचिका में विशेष रूप से उन प्रावधानों को चुनौती दी गई है जो यह निर्धारित करते हैं कि वक़्फ़ कौन बना सकता है, ‘वक़्फ़ बाय यूज़र’ की मान्यता समाप्त कर दी गई है, और वक़्फ़ परिषद व बोर्ड में ग़ैर-मुस्लिमों की नियुक्ति को शामिल किया गया है।

संसद में हुई बहस के दौरान ओवैसी ने विधेयक के प्रावधानों को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण बताया था। उन्होंने कहा था, “एक मुसलमान को वक़्फ़ संपत्ति पर पाबंदियों का सामना करना पड़ेगा, और अतिक्रमी रातोंरात मालिक बन जाएगा। एक गैर-मुस्लिम उसका प्रशासन करेगा, यह अनुच्छेद 14 का सीधा उल्लंघन है।”

READ ALSO  क़र्ज़ (Loan Moratorium) माफ़ी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा…

इस विधेयक के खिलाफ कानूनी लड़ाई को और मज़बूती देते हुए कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। उनकी याचिका में भी संशोधन को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण बताया गया है और कहा गया है कि यह समानता, धार्मिक स्वतंत्रता, अल्पसंख्यक अधिकार और संपत्ति के अधिकार सहित कई संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है।

विवादास्पद वक़्फ़ संशोधन विधेयक का उद्देश्य 1995 के मौजूदा वक़्फ़ अधिनियम में व्यापक बदलाव करना है, जो इस्लामिक क़ानून के तहत धार्मिक दान-संपत्तियों के प्रशासन को नियंत्रित करता है। विधेयक में वक़्फ़ अधिनियम का नाम बदलकर “यूनिफाइड वक़्फ़ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट” करने का प्रस्ताव है, जिससे इसका व्यापक उद्देश्य दर्शाया जा सके।

READ ALSO  दिल्ली की अदालत ने सीबीआई को बैंक धोखाधड़ी मामले में आरोपियों के खिलाफ एलओसी वापस लेने का निर्देश दिया

विधेयक वक़्फ़ घोषित करने के लिए पात्रता को फिर से परिभाषित करता है और इसमें कहा गया है कि केवल वह व्यक्ति जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो और संपत्ति का मालिक हो, वही वक़्फ़ घोषित कर सकता है। इसके अलावा, वक़्फ़ परिषद की संरचना में भी बदलाव कर दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है।

अब इस विधेयक की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है, जिसे देशभर में ध्यान से देखा जा रहा है, खासकर मुस्लिम समुदाय द्वारा जो इसे धार्मिक स्वायत्तता पर हमला मान रहे हैं।

READ ALSO  निक्की यादव हत्याकांड में दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles