आईवैक्स पेपर केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम सावनी कैरियिंग प्राइवेट लिमिटेड [सिविल मिसलेनियस अपील संख्या 481/2024] में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें मध्यस्थता की याचिका को अस्वीकृत कर दिया गया था। न्यायमूर्ति रवि नाथ तिलहरी और न्यायमूर्ति चल्ला गुनारंजन की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि किसी अन्य न्यायालय में मानहानि के लिए पूर्व में दायर वाद को अलग वाणिज्यिक विवाद में मध्यस्थता के विकल्प को छोड़ने के रूप में नहीं देखा जा सकता।
पृष्ठभूमि:
यह अपील, 19.09.2023 को द्वितीय अपर सीनियर सिविल जज, विशाखापट्टनम द्वारा O.S. संख्या 368/2022 में पारित आदेश को चुनौती देती है। उक्त वाद में वादी सावनी कैरियिंग प्रा. लि. ने डिलीवरी से संबंधित बिलों की बकाया राशि की वसूली के लिए मुकदमा दायर किया था, जिसमें विवादित रसीदों में मध्यस्थता की शर्त निहित थी।
प्रतिवादी आईवैक्स पेपर केमिकल्स प्रा. लि. ने धारा 8, मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 के अंतर्गत I.A. संख्या 209/2023 दायर कर पक्षकारों को मध्यस्थता हेतु भेजने की प्रार्थना की थी। परंतु ट्रायल कोर्ट ने यह याचिका अस्वीकार करते हुए कहा:
- प्रतिवादी पहले ही मुंबई की सिटी सिविल कोर्ट में मानहानि वाद दायर कर चुका था, जिससे मध्यस्थता का अधिकार समाप्त हो गया।
- जिस रसीद में मध्यस्थता की शर्त थी, वह बिना स्टांप के थी, अतः अमान्य थी (संदर्भ: N.N. Global Mercantile Pvt. Ltd. केस)।
अपीलकर्ता की दलीलें:
अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि:
- मुंबई में दाखिल मानहानि का मुकदमा इस मामले से संबंधित नहीं है।
- धारा 8 की याचिका लिखित कथन से पहले दायर की गई थी।
- Interplay Between Arbitration Agreements… In Re, (2024) 6 SCC 1 में N.N. Global Mercantile निर्णय को निष्प्रभावी कर दिया गया है, जिससे अब बिना स्टांप मध्यस्थता समझौते भी प्रारंभिक स्तर पर मान्य हैं।
प्रतिवादी की दलीलें:
प्रतिवादी ने उत्तर में कहा कि:
- पूर्ववर्ती मानहानि मुकदमे के माध्यम से मध्यस्थता का अधिकार खो दिया गया है।
- विवादित रसीदें स्टांप नहीं थीं, अतः मध्यस्थता समझौता अमान्य है।
न्यायालय का विश्लेषण:
1. क्या पूर्ववर्ती मुकदमे से मध्यस्थता का अधिकार खत्म हो गया?
न्यायालय ने कहा:
“धारा 8 के अंतर्गत ‘विवाद की प्रथम प्रस्तुति’ का तात्पर्य उसी वाद में पक्षकार द्वारा विवाद की प्रतिक्रिया से है, न कि किसी भिन्न न्यायालय में दायर पूर्व वाद से।”
Rashtriya Ispat Nigam Ltd. और Booz Allen and Hamilton Inc. के निर्णयों पर भरोसा करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि O.S. 368/2022 में लिखित कथन से पूर्व धारा 8 की याचिका दायर की गई थी, इसलिए वह विधिसम्मत रूप से स्वीकार्य थी।
2. बिना स्टांप रसीद में मध्यस्थता क्लॉज की वैधता
कोर्ट ने Interplay Between Arbitration Agreements… In Re, (2024) 6 SCC 1 का हवाला देते हुए कहा:
“बिना स्टांप दस्तावेज प्रमाण के रूप में अप्रमाण्य हो सकते हैं, पर वे शून्य या अमान्य नहीं होते। स्टांपिंग की कमी एक सुधार योग्य त्रुटि है।”
इसलिए ट्रायल कोर्ट का यह आधार भी वर्तमान कानून के अनुसार टिकाऊ नहीं है।
3. क्या वाद मध्यस्थता योग्य है?
कोर्ट ने Vidya Drolla और M. Hemalatha Devi के निर्णयों को उद्धृत करते हुए स्पष्ट किया:
“जब तक यह स्पष्ट रूप से असंभव न हो कि विवाद मध्यस्थता योग्य नहीं है, तब तक ऐसे मामलों में पक्षकारों को मध्यस्थता के लिए भेजना चाहिए।”
निष्कर्ष:
न्यायालय ने कहा:
“मुंबई सिविल कोर्ट में दायर वाद को O.S. 368/2022 में मध्यस्थता के अधिकार की प्रथम प्रस्तुति नहीं माना जा सकता।”
19.09.2023 को पारित ट्रायल कोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया गया और निर्देश दिया गया कि I.A. संख्या 209/2023 पर कानून के अनुसार गुण-दोष के आधार पर पुनः विचार किया जाए।
आईवैक्स पेपर केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम सावनी कैरियिंग प्राइवेट लिमिटेड, सिविल मिसलेनियस अपील संख्या 481/2024