आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने न्यायिक सेवा से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाते हुए जिला जजों की 2022 की अंतिम वरिष्ठता सूची को रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति रवि नाथ तिलहरी और न्यायमूर्ति महेश्वर राव कुंचेम की खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि जब एक ही भर्ती वर्ष में अलग-अलग माध्यमों से नियुक्ति हो, तो वरिष्ठता का निर्धारण सरकारी नियुक्ति आदेश जारी होने की तारीख से नहीं, बल्कि सेवा नियमों में निर्धारित रोस्टर बिंदुओं के आधार पर किया जाना चाहिए। न्यायालय ने 2017 की पूर्व निर्धारित सूची के आधार पर एक नई वरिष्ठता सूची तैयार करने का निर्देश दिया है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला तीन जिला जजों—गुदुरी रजनी, जी. अनवर बाशा और पी. भास्कर राव—द्वारा दायर रिट याचिकाओं से संबंधित था। इन याचिकाकर्ताओं को 2015 के भर्ती वर्ष के लिए “त्वरित भर्ती” (Accelerated Recruitment) के 10% कोटे के तहत 2016 में जिला जज के रूप में नियुक्त किया गया था।

इसी भर्ती वर्ष में, वरिष्ठ सिविल जजों के लिए 65% पदोन्नति कोटे की प्रक्रिया भी साथ-साथ चल रही थी। दोनों ही कोटों के लिए भर्ती प्रक्रिया 31 मार्च, 2015 को एक ही दिन शुरू हुई थी, परिणाम 14 नवंबर, 2015 को घोषित किए गए और तत्कालीन संयुक्त हाई कोर्ट ने 24 नवंबर, 2015 को चयनित उम्मीदवारों की सूची सरकार को नियुक्ति के लिए भेज दी थी।
हालांकि, सरकार ने 65% कोटे के तहत नियुक्त होने वाले अधिकारियों के लिए नियुक्ति आदेश 20 जनवरी, 2016 को जारी कर दिए, जबकि 10% कोटे के तहत आने वाले याचिकाकर्ताओं के लिए आदेश 8 फरवरी, 2016 को, यानी कुछ दिन बाद जारी किए गए।
इसके बाद, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के तत्कालीन संयुक्त हाई कोर्ट ने 4 फरवरी, 2017 को एक अंतर-वरिष्ठता सूची को अंतिम रूप दिया था। यह सूची आंध्र प्रदेश राज्य न्यायिक सेवा नियम, 2007 के नियम 13(a) में वर्णित 40-पॉइंट रोस्टर प्रणाली के आधार पर बनाई गई थी, जिसमें याचिकाकर्ताओं को 65% कोटे के अधिकारियों से वरिष्ठ स्थान दिया गया था।
हाई कोर्ट के विभाजन के बाद, आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने 2010 से 2019 के बीच नियुक्त हुए जिला जजों की वरिष्ठता तय करने के लिए एक नई प्रक्रिया शुरू की। 5 जनवरी, 2022 को एक नई अंतिम वरिष्ठता सूची जारी की गई, जिसे सरकार ने 11 मार्च, 2022 को अधिसूचित किया। इस संशोधित सूची में याचिकाकर्ताओं को 65% कोटे के अधिकारियों से कनिष्ठ (जूनियर) बना दिया गया, जिसका आधार उनके नियुक्ति आदेशों का बाद की तारीख में जारी होना था। वरिष्ठता में इस पदावनति ने याचिकाकर्ताओं को 2022 की सूची को चुनौती देने के लिए प्रेरित किया।
दोनों पक्षों की दलीलें
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि 2022 की सूची मनमानी थी और सेवा नियमों का उल्लंघन करती थी। उन्होंने कहा कि जब पूरी भर्ती प्रक्रिया एक साथ हुई, तो केवल नियुक्ति पत्र कुछ दिन बाद जारी होने से उनकी वरिष्ठता नहीं छीनी जा सकती। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि 2017 की सूची अंतिम हो चुकी थी, उस पर अमल भी किया गया था, और सुप्रीम कोर्ट के के. मेघचंद्र सिंह बनाम निंगमा सिरो मामले में दिए गए फैसले के तहत उसे संरक्षण प्राप्त था।
वहीं, प्रतिवादी हाई कोर्ट ने अपनी प्रशासनिक क्षमता में 2022 की सूची का बचाव किया। उनका तर्क था कि 2017 की सूची कभी अंतिम नहीं हुई क्योंकि सरकार ने उसे आधिकारिक तौर पर अधिसूचित नहीं किया था, जो एक स्थापित प्रथा है। उनकी मुख्य दलील यह थी कि किसी व्यक्ति को उस तारीख से वरिष्ठता नहीं दी जा सकती जब वह “कैडर में पैदा भी नहीं हुआ था।”
न्यायालय का विश्लेषण और निष्कर्ष
खंडपीठ ने विस्तृत विश्लेषण के बाद याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया। न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि अलग-अलग तारीखों पर नियुक्ति आदेश जारी करने की कार्यपालिका की कार्रवाई, सेवा नियमों में निहित विधायी मंशा को कमजोर नहीं कर सकती।
फैसले में कहा गया, “एक ही तारीख की अधिसूचनाओं के तहत… विभिन्न स्रोतों से नियुक्त व्यक्तियों के बीच वरिष्ठता का निर्धारण करने की विधायी मंशा रोस्टर बिंदुओं को लागू करके स्पष्ट रूप से व्यक्त की गई है। इसे राज्य द्वारा अलग-अलग तारीखों पर नियुक्ति आदेश जारी करके… एक श्रेणी के व्यक्तियों को दूसरी श्रेणी से कनिष्ठ बनाकर विफल नहीं किया जा सकता है।”
कोर्ट ने माना कि 2017 की वरिष्ठता सूची प्रभावी रूप से अंतिम हो गई थी क्योंकि यह नियमों के अनुसार तैयार की गई थी और पदोन्नति देकर इस पर अमल भी किया गया था। सरकार द्वारा अधिसूचना जारी न करने को एक “मंत्रालयी कार्य” (ministerial act) माना गया, जो निर्धारित वरिष्ठता को अमान्य नहीं कर सकता।
अंतिम निर्णय
हाई कोर्ट ने तीनों रिट याचिकाओं को स्वीकार करते हुए 5 जनवरी, 2022 की अंतिम वरिष्ठता सूची और संबंधित सरकारी अधिसूचना को रद्द कर दिया। न्यायालय ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:
- 2015 भर्ती वर्ष के लिए एक नई वरिष्ठता सूची तैयार की जाए, जो नियम 13(a) के तहत रोस्टर पॉइंट प्रणाली और 2017 की सूची को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी।
- यह प्रक्रिया निर्णय की तारीख से चार महीने के भीतर पूरी की जानी चाहिए।
- रद्द की गई 2022 की सूची के आधार पर कोई पदोन्नति नहीं दी जाएगी।
- याचिकाकर्ताओं को सभी परिणामी लाभ दिए जाएंगे।