मोटर वाहन दुर्घटना या हत्या? आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण कानूनी सवालों पर फैसला सुनाया  

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में मोटर वाहन अधिनियम (एम.वी. एक्ट) के तहत दुर्घटनाओं से संबंधित दावों की स्वीकार्यता पर महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, भले ही दुर्घटना की प्रकृति विवादित हो। कोर्ट ने बोडापाटी थाताराव की अपील को खारिज कर दिया और मृतक बोडापाटी सत्यनारायण के परिवार को मोटर वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) द्वारा दिए गए मुआवजे को बरकरार रखा।  

मामले की पृष्ठभूमि  

यह मामला 2 अप्रैल 2017 को हुई एक दुखद दुर्घटना से जुड़ा है, जिसमें बोडापाटी सत्यनारायण की मौत हो गई थी। यह घटना तब हुई जब उनकी मोटरसाइकिल एक टाटा टियागो कार (AP27-BF9369) से टकरा गई, जिसे कथित रूप से लापरवाही और तेज गति से चलाया जा रहा था। मृतक के परिवार, जिसमें उनकी विधवा, बेटा और बेटियां शामिल हैं, ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 173 के तहत मुआवजे का दावा किया।  

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ओंगोल स्थित MACT ने दावा स्वीकार करते हुए ₹32,09,000 का मुआवजा और ब्याज परिवार को देने का आदेश दिया। न्यायाधिकरण ने कार के मालिक और बीमा कंपनी को संयुक्त रूप से जिम्मेदार ठहराया।  

हालांकि, मृतक के बेटे और सह-आवेदक बोडापाटी थाताराव ने इस निर्णय को चुनौती दी। उन्होंने दावा किया कि यह मौत दुर्घटना नहीं, बल्कि एक साजिश के तहत हत्या थी। उन्होंने इस मामले में पुनः जांच की मांग की और परिवार के अन्य सदस्यों पर संदेह जताया।  

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मुख्य कानूनी मुद्दे  

1. मोटर वाहन अधिनियम के तहत दावे की स्वीकार्यता:  

   अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि यह मौत दुर्घटना नहीं बल्कि आपराधिक षड्यंत्र का परिणाम थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रीता देवी बनाम न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के मामले का हवाला दिया, जिसमें हत्या और दुर्घटना में अंतर को स्पष्ट किया गया है।  

2. MACT की क्षेत्राधिकार और साक्ष्य मूल्यांकन:  

   अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि न्यायाधिकरण का क्षेत्राधिकार इस मामले में लागू नहीं होता क्योंकि यह मौत पूर्व-नियोजित थी और मोटर वाहन दुर्घटना से नहीं जुड़ी थी।  

3. संपत्ति विवाद और मकसद का आरोप:  

   अपीलकर्ता ने संपत्ति विवाद का हवाला देते हुए दावा किया कि यह कथित दुर्घटना इसी मकसद से की गई साजिश थी।  

कोर्ट के अवलोकन  

न्यायमूर्ति रवि नाथ तिलहरी और न्यायमूर्ति चल्ला गुणारंजन ने अपीलकर्ता के तर्कों की विस्तार से समीक्षा की और हत्या और दुर्घटना में अंतर पर जोर दिया।  

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1. स्वीकार्यता पर:  

   कोर्ट ने कहा कि हत्या के आरोप लगने मात्र से MACT का क्षेत्राधिकार समाप्त नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट के रीता देवी मामले को उद्धृत करते हुए कोर्ट ने कहा:  

   “हत्या और दुर्घटना के बीच का अंतर इस बात पर निर्भर करता है कि हत्या का मुख्य उद्देश्य क्या था। यदि किसी कार्य का प्रमुख उद्देश्य हत्या करना है, तो वह साधारण हत्या है; लेकिन यदि वाहन से जुड़ी किसी अन्य आपराधिक गतिविधि के दौरान यह होता है, तो इसे दुर्घटना माना जा सकता है।”

   कोर्ट ने पाया कि इस मामले में हत्या साबित करने के लिए कोई ठोस साक्ष्य नहीं है।  

2. न्यायाधिकरण के निष्कर्ष:  

   MACT ने गवाही और पुलिस रिपोर्ट के आधार पर दुर्घटना को लापरवाही और तेज गति का परिणाम माना। अपीलकर्ता के दावे अटकलों पर आधारित पाए गए और विश्वसनीय साक्ष्य से समर्थित नहीं थे।  

3. संपत्ति विवाद का मुआवजे पर कोई प्रभाव नहीं:  

   कोर्ट ने संपत्ति विवाद के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि उत्तराधिकार के मामले मुआवजे के दावों पर कोई प्रभाव नहीं डालते।  

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4. पुनः जांच की याचिका खारिज:  

   अपीलकर्ता की सीबीसीआईडी या सीबीआई से पुनः जांच की याचिका पहले ही हाईकोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी थी, जिससे न्यायाधिकरण के निष्कर्ष मजबूत हुए।  

कोर्ट का निर्णय  

कोर्ट ने अपील को प्रारंभिक स्तर पर ही खारिज कर दिया और दावे की स्वीकार्यता और मुआवजे को बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा:  

“दुर्घटना और वाहन उपयोग के बीच का संबंध प्रत्यक्ष और तात्कालिक होना आवश्यक नहीं है। जब मृत्यु वाहन उपयोग से जुड़ी है, तो दावा स्वीकार्य रहेगा।”

मामले में शामिल वकील  

– अपीलकर्ता की ओर से: श्री सूरा वेंकट साईंनाथ  

– प्रतिवादी की ओर से: अपील में प्रतिनिधित्व नहीं किया गया  

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