हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साइबर ठगी के दोषी आरोपी को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की पीठ आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120-बी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66/60सी और 43 के तहत आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही थी।
इस मामले में मुखबिर ने प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि 27 जून, 2021 को मुखबिर के मोबाइल फोन पर एक संदेश आया कि उसका एयरटेल सिम कार्ड समाप्त हो जाएगा और इसलिए उसे केवाईसी से लिंक कर लेना चाहिए।
फिर फोन आया और गूगल से एक एप्लीकेशन डाउनलोड करने का निर्देश दिया गया। इसके बाद मुखबिर को 10 रुपये जमा कराने का निर्देश दिया। जैसे ही उसने ₹10 जमा किए, ₹10 जमा करते ही उसके खाते से ₹2,12,967/- की पूरी राशि डेबिट हो गई।
आवेदक को एक अन्य सह-आरोपी के साथ गिरफ्तार किया गया था। आवेदक और सह-आरोपी को साइबर धोखाधड़ी कबूल करने के लिए मजबूर किया गया था। उक्त गिरफ्तारी धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120-बी आईपीसी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66/60सी और 43 के तहत 2021 के अपराध संख्या 30 के संबंध में की गई थी।
उच्च न्यायालय ने अपराध की प्रकृति, अभियुक्तों की मिलीभगत, मुकदमे के निष्कर्ष के बारे में अनिश्चितता, पुलिस द्वारा एकतरफा जांच, विचाराधीन कैदियों द्वारा जेलों में उनकी क्षमता से अधिक 5-6 गुना भीड़ पर विचार करने के बाद आरोपी को जमानत दे दी।
उपरोक्त के मद्देनजर, खंडपीठ ने जमानत अर्जी मंजूर कर ली।
केस का शीर्षक: प्रमोद कुमार मदल उर्फ प्रमोद मंडल बनाम यूपी राज्य।
बेंच: जस्टिस सिद्धार्थ
केस नं.: क्रिमिनल मिस. जमानत आवेदन संख्या – 2022 का 59966
आवेदक के वकील: प्रतीक सिन्हा