इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाज़ीपुर के एक व्यक्ति का हथियार लाइसेंस रद्द करने संबंधी जिलाधिकारी का आदेश निरस्त करते हुए कहा कि आदेश में Arms Act के Rule 32 के किसी भी उल्लंघन का उल्लेख नहीं है, जो लाइसेंस रद्द करने और हथियार जब्त करने का आधार बन सके।
न्यायमूर्ति कुनाल रवि सिंह ने याचिकाकर्ता योगेंद्र कुमार की याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि जब तक Rule 32 के “आवश्यक अवयवों” को स्थापित नहीं किया जाता, तब तक लाइसेंस रद्द करना और हथियार जब्त करना कानूनन संभव नहीं है।
Rule 32 के अनुसार किसी भी लाइसेंस को रद्द करने से पहले प्राधिकरण को यह निर्धारित करना अनिवार्य है कि लाइसेंसधारी ने नियमों का उल्लंघन किया है या नहीं—जैसे हथियार को होल्स्टर में न रखना या किसी सार्वजनिक स्थल पर हथियार चलाना।
हाईकोर्ट ने पाया कि जिलाधिकारी के आदेश में ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं दिया गया।
कोर्ट ने कहा,
“जिलाधिकारी ने Rule 32 में उल्लिखित किसी भी शर्त के संबंध में कोई निष्कर्ष नहीं दिया है। Rule 32 में यह स्पष्ट रूप से अपेक्षित है कि या तो हथियार को निर्धारित होल्स्टर/उपकरण में नहीं रखा गया या फिर हथियार किसी सार्वजनिक स्थान पर चलाया गया हो।”
कोर्ट ने आगे कहा,
“Rule 32 के आवश्यक अवयवों के उल्लंघन संबंधी कोई भी निष्कर्ष आदेश में नहीं है, जिसके आधार पर लाइसेंस रद्द या हथियार जब्त किया जा सके। इस कारण पूरा आदेश निरस्त किया जाना आवश्यक है।”
याचिकाकर्ता योगेंद्र कुमार को 16 जुलाई 2005 को रिवॉल्वर लाइसेंस प्रदान किया गया था। 22 सितंबर 2020 को गाज़ीपुर के जिलाधिकारी ने लाइसेंस निलंबित करते हुए हथियार जमा कराने का निर्देश दिया। कुमार ने आरोपों का खंडन किया, लेकिन 17 अगस्त 2020 को SHO ने उनका हथियार अपने कब्ज़े में ले लिया।
आयोगर, वाराणसी के समक्ष दायर उनकी अपील भी खारिज हो गई, जिसके बाद वे हाईकोर्ट पहुंचे।
हाईकोर्ट ने पाया कि अधिकारियों का आदेश Rule 32 की अनिवार्य शर्तों को पूरा नहीं करता, और इसे निरस्त कर दिया।

