इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रतिबंधित कफ सिरप की कथित अवैध बिक्री से जुड़े मामले में गिरफ्तार दो भाइयों को अंतरिम जमानत प्रदान की है। अदालत ने कहा कि न तो उनके पास से कोई बरामदगी हुई और न ही उनके खिलाफ ऐसा कोई ठोस साक्ष्य है, जो इस स्तर पर उन्हें हिरासत में रखने को उचित ठहराए।
लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार ने 18 दिसंबर को विभोर राणा और विशाल सिंह द्वारा दाखिल अलग-अलग जमानत अर्जियों पर यह आदेश पारित किया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 5 जनवरी की तारीख तय की है।
पुलिस के अनुसार, दोनों भाइयों को 13 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने फेन्सिडिल कफ सिरप के स्टॉक को अवैध रूप से डायवर्ट किया। हालांकि, जांच के दौरान उनके कब्जे से कोई भी प्रतिबंधित दवा बरामद नहीं हुई।
राज्य सरकार ने जमानत का कड़ा विरोध किया था और अदालत से जवाब दाखिल करने के लिए समय भी मांगा था। इसके बावजूद हाई कोर्ट ने यह ध्यान में रखा कि इस मामले में तीन अन्य आरोपी — शैलेंद्र आर्य, जिनके ट्रक से कथित तौर पर प्रतिबंधित कफ सिरप बरामद हुआ था, साथ ही पवन गुप्ता और देवेंद्र कुमार विश्वकर्मा — पहले ही जमानत पर रिहा किए जा चुके हैं।
अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि इसी तरह के एक अन्य मामले में आरोपियों को यह कहते हुए राहत दी गई थी कि एनडीपीएस एक्ट के तहत कोई अपराध बनता ही नहीं है। मौजूदा मामले में भी राणा और सिंह के नाम सह-आरोपियों बिट्टू कुमार और सचिन कुमार के बयानों के आधार पर सामने आए, लेकिन उनके खिलाफ कोई स्वतंत्र बरामदगी नहीं है।
अंतरिम जमानत देते हुए हाई कोर्ट ने दोनों आरोपियों को जांच में पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि जमानत की अवधि के दौरान वे जांच अधिकारी के बुलाने पर उपस्थित होंगे और अभियोजन के साक्ष्यों से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं करेंगे।
अब इस मामले में राज्य सरकार की आपत्ति और रिकॉर्ड पर आने वाले तथ्यों के आधार पर अगली सुनवाई में आगे का निर्णय लिया जाएगा।

