इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सोमवार को एक जनहित याचिका में लगाए गए आरोपों पर गंभीर चिंता व्यक्त की कि राज्य सरकार कुपोषित महिलाओं और बच्चों पर ध्यान नहीं दे रही है।
पीठ ने राज्य सरकार से कहा है कि वह अगली सुनवाई तक उन योजनाओं का ब्योरा पेश करे जो कुपोषित बच्चों और महिलाओं की समस्याओं से निपटने के लिए चलाई जा रही हैं।
खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई आठ सप्ताह के बाद स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने मोतीलाल यादव द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया।
याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार पर कुपोषित बच्चों और महिलाओं को पर्याप्त पोषण उपलब्ध कराने में विफल रहने का आरोप लगाया है।
पीठ ने कहा, “हम राज्य से यह भी अपेक्षा करते हैं कि जवाबी हलफनामा दाखिल करते समय विभिन्न लाभकारी योजनाओं को चलाने के लिए मानव संसाधन में कमी, यदि कोई हो, को भी अदालत के ध्यान में लाया जाए।”
यह भी देखा गया कि कुपोषित स्तनपान कराने वाली माताओं के कारण कुपोषित बच्चे हैं और तदनुसार, यह राज्य का कर्तव्य बनता है कि वह उचित उपाय करे ताकि समाज के ये वर्ग भी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित अपने जीवन के अधिकार का एहसास कर सकें। .