पीड़िता ने खुद मुश्किलें बुलाईं और इसके लिए वह स्वयं भी ज़िम्मेदार थी: बलात्कार मामले में ज़मानत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह द्वारा पारित एक आदेश में ‘भारतीय न्याय संहिता, 2023’ की धारा 64 के तहत दर्ज एक बलात्कार के मामले में आरोपी निश्चल चंदक को ज़मानत प्रदान की। यह मामला थाना सेक्टर-126, जनपद गौतम बुद्ध नगर में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 226/2024 से संबंधित था।

मामले की पृष्ठभूमि

प्राथमिकी पीड़िता द्वारा 23.09.2024 को दर्ज कराई गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि 21.09.2024 को आरोपी द्वारा उसके साथ घटना की गई। एफआईआर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 64 के तहत दर्ज की गई।

अभियुक्त की ओर से प्रस्तुतियाँ

अभियुक्त की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विनय सरन ने अधिवक्ता बलबीर सिंह की सहायता से पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि पीड़िता बालिग है और पीजी होस्टल में रहती थी। वह स्वेच्छा से अपने दोस्तों के साथ ‘द रिकॉर्ड रूम बार रेस्टोरेंट’ गई, जहां उसने शराब का सेवन किया और रात 3 बजे तक वहां रुकी। इसके बाद वह अभियुक्त के निवास स्थान पर विश्राम करने हेतु जाने के लिए तैयार हो गई।

अभियुक्त द्वारा यह आरोप सिरे से खारिज किया गया कि उसने पीड़िता को किसी रिश्तेदार के फ्लैट पर ले जाकर बलात्कार किया। यह भी कहा गया कि यदि कोई संबंध हुआ भी, तो वह पीड़िता की स्वीकृति से हुआ, जैसा कि उसकी स्वयं की बातों से प्रतीत होता है।

यह भी प्रस्तुत किया गया कि अभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, वह 11.12.2024 से हिरासत में है और उसने ज़मानत की स्वतंत्रता का दुरुपयोग न करने का आश्वासन दिया है।

राज्य की प्रतिक्रिया

राज्य की ओर से अपर सरकारी अधिवक्ता ने ज़मानत याचिका का विरोध किया, किंतु पीड़िता की आचरण संबंधी तथ्यों और एफआईआर में दर्ज विवरणों पर कोई प्रतिवाद नहीं किया।

न्यायालय के विचार

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने यह माना कि अभियुक्त और पीड़िता दोनों बालिग हैं और पीड़िता एक परास्नातक छात्रा है, जो अपने कार्यों के परिणामों को समझने में सक्षम है। न्यायालय ने टिप्पणी की:

“इस न्यायालय का मत है कि यदि पीड़िता के आरोपों को सत्य मान भी लिया जाए, तो भी यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि उसने स्वयं ही मुसीबत को आमंत्रित किया और वह स्वयं भी इसके लिए उत्तरदायी है। इसी प्रकार का रुख पीड़िता ने अपने बयान में भी लिया है। चिकित्सीय परीक्षण में उसकी हाइमेन टूटी हुई पाई गई, परंतु डॉक्टर ने यौन शोषण के विषय में कोई स्पष्ट राय नहीं दी।”

शर्तों के साथ ज़मानत मंज़ूर

अपराध की प्रकृति, साक्ष्यों एवं पक्षों की प्रस्तुतियों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने माना कि यह ज़मानत के लिए उपयुक्त मामला है। निम्नलिखित शर्तों के साथ ज़मानत प्रदान की गई:

  • अभियुक्त सुनवाई की शीघ्रता में सहयोग करेगा और अनिवार्य स्थिति को छोड़कर नियमित रूप से न्यायालय में उपस्थित रहेगा।
  • अभियुक्त किसी भी व्यक्ति को, जो मामले के तथ्यों से परिचित हो, धमकी, प्रलोभन या दबाव नहीं देगा।
  • अभियुक्त रिहाई के बाद किसी भी आपराधिक गतिविधि में संलिप्त नहीं होगा।
  • ज़मानती की पहचान, स्थिति और आवासीय प्रमाण पत्र संबंधित न्यायालय द्वारा सत्यापित किए जाएंगे।
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न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ये टिप्पणियाँ केवल ज़मानत याचिका के निस्तारण तक सीमित हैं और मुख्य मुकदमे की मेरिट को प्रभावित नहीं करेंगी।

मामले का शीर्षक: Nischal Chandak v. State of U.P.
मामला संख्या: Criminal Misc. Bail Application No. 1971 of 2025

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