इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर ‘वजूखाना’ क्षेत्र के सर्वेक्षण से संबंधित याचिका की सुनवाई 17 दिसंबर तक स्थगित कर दी है। सुनवाई में देरी का निर्णय 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा संबंधित मामले को संबोधित किए जाने की प्रत्याशा के बाद लिया गया है।
वाराणसी न्यायालय के समक्ष चल रहे श्रृंगार गौरी पूजा मुकदमे में वादी राखी सिंह द्वारा दायर दीवानी पुनरीक्षण याचिका के जवाब में न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने स्थगन का आदेश दिया। याचिका में वाराणसी जिला न्यायाधीश द्वारा 21 अक्टूबर, 2023 को दिए गए पहले के निर्णय को चुनौती दी गई है, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को मस्जिद के अंदर कथित रूप से खोजे गए ‘शिवलिंग’ को छोड़कर ‘वजूखाना’ क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का आदेश देने से इनकार कर दिया गया था।
राखी सिंह का तर्क है कि निष्पक्ष न्यायिक परिणाम प्राप्त करने के लिए ‘वजूखाना’ का गहन सर्वेक्षण आवश्यक है, जिससे संभावित रूप से वादी और प्रतिवादी दोनों को लाभ हो सकता है। याचिका में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहले जारी किए गए निर्देशों के अनुरूप गैर-आक्रामक तरीकों का उपयोग करके इस सर्वेक्षण को आयोजित करने की व्यवहार्यता पर जोर दिया गया है।
ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने एक जवाबी हलफनामे के साथ जवाब दिया है जिसमें कहा गया है कि ‘वजूखाना’ और कथित ‘शिवलिंग’ दोनों से जुड़े मुद्दे वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन हैं, जो इन धार्मिक और पुरातात्विक जांचों के जटिल कानूनी अंतर्संबंधों का संकेत देता है।
यह कानूनी चुनौती एएसआई द्वारा पूरे ज्ञानवापी परिसर के पहले किए गए वैज्ञानिक सर्वेक्षण की पृष्ठभूमि में आती है। इस सर्वेक्षण के निष्कर्ष पहले ही वाराणसी जिला न्यायाधीश को सौंपे जा चुके हैं, जिससे साइट के आसपास चल रही कानूनी और सांप्रदायिक चर्चाओं में जटिलता की एक और परत जुड़ गई है।