कानपुर CMO निलंबन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक, प्राथमिक जांच के अभाव को बताया आधार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर के मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) डॉ. हरिदत्त नेमी के निलंबन पर अंतरिम रोक लगाते हुए कहा है कि राज्य सरकार की कार्रवाई prima facie सेवा नियमों के तहत प्रक्रिया की अनुपालना के बिना की गई प्रतीत होती है।

लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति मनीष माथुर ने यह अंतरिम राहत डॉ. नेमी की उस याचिका पर दी जिसमें उन्होंने 19 जून को जारी अपने निलंबन आदेश को चुनौती दी थी। यह निलंबन आदेश डॉ. नेमी और कानपुर के जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह के बीच हुए कथित टकराव के बाद जारी किया गया था।

READ ALSO  अविवाहित बेटी को माता-पिता से शादी के खर्च का दावा करने का अधिकार है- जानिए हाईकोर्ट का फ़ैसला

याची की ओर से अधिवक्ता एल.पी. मिश्रा ने दलील दी कि निलंबन आदेश जारी करने से पहले कोई औपचारिक जांच नहीं की गई, जो उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि आरोप इतने गंभीर नहीं हैं कि उनके आधार पर निलंबन जैसी कठोर सजा दी जाए।

Video thumbnail

याचिकाकर्ता की प्रारंभिक दलीलों से सहमत होते हुए न्यायालय ने कहा, “प्रथम दृष्टया, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत तर्कों में बल है और वे विचारणीय हैं।” कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

READ ALSO  हाईकोर्ट का आदेश छात्र को जारी किया जाए "ना-जाति, ना धर्म" प्रमाणपत्र- जानिए पूरा मामला

यह मामला वरिष्ठ सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों के विरुद्ध की जा रही अनुशासनात्मक कार्रवाइयों में प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर चिंता को रेखांकित करता है और यह संकेत देता है कि न्यायालय उन कार्यपालक निर्णयों की जांच को लेकर सजग है जो स्थापित सेवा नियमों की अनदेखी कर लिए जाते हैं।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles