इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फ़तेहपुर ज़िले में स्थित 180 साल पुरानी नूरी जामा मस्जिद में किसी भी तरह की आगे की तोड़फोड़ करने से रोक दिया है। मस्जिद प्रबंधन समिति की याचिका पर गुरुवार को यह अंतरिम आदेश पारित किया गया।
न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अरुण कुमार की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही थी।
याचिकाकर्ता समिति ने बताया कि सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा जारी नोटिस के आधार पर मस्जिद का एक हिस्सा पहले ही गिराया जा चुका है। उनका कहना था कि सड़क चौड़ीकरण का काम अभी भी जारी है, जिससे मस्जिद के और हिस्सों को नुकसान पहुंचने का खतरा बना हुआ है।
सुनवाई के दौरान राज्य के वकील ने कोर्ट को बताया कि चौड़ीकरण के लिए आवश्यक तोड़फोड़ “पहले ही पूरी हो चुकी” है। लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने इस दावे को असत्य बताया और कहा कि काम अभी बाकी है और बिना संरक्षण के मस्जिद को और नुकसान हो सकता है।
तथ्यों पर विवाद की स्थिति देखते हुए, राज्य के स्टैंडिंग काउंसल ने अदालत को आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक किसी भी तरह की और तोड़फोड़ नहीं की जाएगी। कोर्ट ने इस आश्वासन को अपने आदेश का हिस्सा बनाया।
अदालत ने निर्देश दिया, “अगली तिथि तक मस्जिद में किसी भी प्रकार की आगे की तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं की जाएगी।”
सड़क चौड़ीकरण की आवश्यकता को देखते हुए, कोर्ट ने मामले को 17 नवंबर को शीर्ष पर सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया ताकि राज्य पक्ष अपना जवाब दाखिल कर सके।
फ़तेहपुर ज़िले के ललौली गांव में स्थित नूरी जामा मस्जिद लगभग 180 साल पुरानी है और उस दौर की स्थापत्य शैली को दर्शाती है। याचिकाकर्ता के अनुसार, यह मस्जिद स्थानीय मुस्लिम समुदाय के धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन का केंद्र रही है और आज भी सक्रिय रूप से उपयोग में है।
साल 2023 में उत्तर प्रदेश पीडब्ल्यूडी ने एनएच-335 के दोनों ओर 40 फीट क्षेत्र में दो किलोमीटर तक सड़क चौड़ीकरण का प्रस्ताव जारी किया था। इसमें मस्जिद के लगभग 150 वर्ग फुट हिस्से को अधिग्रहित कर गिराने की योजना शामिल थी।
अब यह मामला 17 नवंबर को फिर से सुना जाएगा।




