इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक वकील की courtroom में अनुशासनहीनता और हंगामे को लेकर कड़ी नाराज़गी जाहिर की है। यह घटना उस समय हुई जब न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने एक बलात्कार के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद आरोपी के वकील ने अदालत की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न की।
यह मामला सचिन गुप्ता नामक आरोपी से जुड़ा था, जिसकी जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया और ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह मामले की सुनवाई में तेजी लाए।
हालांकि, आदेश सुनाए जाने के बाद भी वकील लगातार बहस करते रहे और न्यायालय की कार्यवाही में बाधा डालते रहे। इस पर नाराज़गी जताते हुए न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने कहा, “आदेश पारित होने के बाद किसी को भी न्यायालय की कार्यवाही में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं है।”

न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि वकीलों की दोहरी जिम्मेदारी होती है—एक ओर अपने मुवक्किल के हितों की प्रभावी पैरवी करना और दूसरी ओर अदालत में सम्मानजनक व सकारात्मक वातावरण बनाए रखना।
जज ने टिप्पणी की कि “वकीलों को अदालत की सहायता करनी चाहिए, न कि कार्यवाही में विघ्न डालना चाहिए, ताकि न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा बनी रहे।”