इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समन आदेश को खारिज किया, कथित न्यायिक कदाचार की जांच के निर्देश दिए

गजेंद्र सिंह नेगी और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य शीर्षक वाले मामले में, आवेदक गजेंद्र सिंह नेगी और एक अन्य व्यक्ति को 28 अक्टूबर, 2020 के आदेश द्वारा उत्तर प्रदेश गैंगस्टर अधिनियम की धारा 3(1) के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया गया था। यह आदेश कथित तौर पर विशेष न्यायाधीश, गैंगस्टर अधिनियम, कानपुर नगर द्वारा जारी किया गया था। हालांकि, बाद में पता चला कि उस दिन पीठासीन अधिकारी छुट्टी पर थे, जिससे आदेश की वैधता पर गंभीर सवाल उठे।

आवेदकों ने दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत एक आवेदन दायर करके आदेश को चुनौती दी, जिसमें समन आदेश को रद्द करने की मांग की गई। मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी के समक्ष लाया गया।

शामिल कानूनी मुद्दे:

इस मामले में मुख्य मुद्दा एक न्यायिक आदेश की वैधता के इर्द-गिर्द घूमता है, जिस पर कथित तौर पर एक न्यायाधीश द्वारा हस्ताक्षर किए गए और जारी किए गए, जो उस तारीख को मौजूद नहीं थे, जिस दिन यह आदेश दिया गया था। यह न्यायिक कदाचार और कानूनी प्रक्रिया की अखंडता के बारे में महत्वपूर्ण चिंताएँ पैदा करता है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री मनीष तिवारी और अन्य विद्वान वकीलों द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए आवेदकों ने तर्क दिया कि आदेश न केवल प्रक्रियात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण प्रतीत होता है, बल्कि यह भी सुझाव देता है कि इसमें छेड़छाड़ की गई हो सकती है, जैसा कि हस्तलिखित शब्द “समन” एक अलग लिखावट में दिखाई देने से संकेत मिलता है।

न्यायालय का निर्णय:

तर्कों को सुनने के बाद, न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने आरोपों की गंभीरता और विवादित आदेश के इर्द-गिर्द अस्पष्टता पर ध्यान दिया। न्यायालय ने पाया कि स्पष्ट अनियमितताओं के कारण समन आदेश को उसके वर्तमान स्वरूप में बनाए नहीं रखा जा सकता। परिणामस्वरूप, हाईकोर्ट ने 28 अक्टूबर, 2020 के विवादित आदेश को रद्द कर दिया।

एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, न्यायालय ने संबंधित जिला न्यायाधीश को उन परिस्थितियों का पता लगाने के लिए जांच शुरू करने का निर्देश दिया, जिनके तहत संदिग्ध आदेश पारित किया गया था। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि यदि आवश्यक हो, तो तत्कालीन पीठासीन अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा जाना चाहिए, जो कथित तौर पर आदेश की तिथि पर छुट्टी पर थे।

हाईकोर्ट ने आगे आदेश दिया कि जांच की रिपोर्ट वर्तमान मामले के रिकॉर्ड पर रखी जाए और संबंधित माननीय प्रशासनिक न्यायाधीश, जजशिप, कानपुर नगर को भेजी जाए। इसके अतिरिक्त, हाईकोर्ट के आदेश की एक प्रति रजिस्ट्रार (अनुपालन) को आगे की कार्रवाई के लिए भेजने का निर्देश दिया गया।

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केस विवरण:

केस का शीर्षक: गजेंद्र सिंह नेगी और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य

केस संख्या: आवेदन धारा 482 संख्या 18761/2020

बेंच: न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी

आवेदकों के वकील: मनीष तिवारी (वरिष्ठ अधिवक्ता), आशिम लूथरा, जितेंद्र कुमार चक्रवर्ती, प्रणव तिवारी, सैयद आबिद अली नकवी, वेद प्रकाश मिश्रा

विपक्षी पक्ष के वकील: सुरेश गुप्ता, आशुतोष मिश्रा (जी.ए.), सैयद आबिद अली नकवी

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