सार्वजनिक सड़कों पर मूर्तियां लगाने की वैधता पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की पूछताछ, सुल्तानपुर डीएम से मांगा विस्तृत हलफनामा

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या किसी सार्वजनिक सड़क या सरकारी भूमि पर मूर्ति स्थापित की जा सकती है, और यदि नहीं, तो ऐसी मूर्तियों को हटाने या स्थानांतरित करने की प्रक्रिया क्या है।

न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति राजीव भारती की खंडपीठ ने यह सवाल उस मामले की सुनवाई के दौरान उठाया, जिसमें सुल्तानपुर जिले में एक सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की सड़क पर पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह की मूर्ति स्थापित की गई थी।

अदालत ने सुल्तानपुर के जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वे इस विषय पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करें, जिसमें बताया जाए कि ऐसी मूर्तियों की स्थापना और हटाने की प्रक्रिया क्या है। मामला अब 25 नवम्बर को सुनवाई के लिए तय किया गया है।

Video thumbnail

यह मुद्दा सबसे पहले एक जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से उठाया गया था, जिसमें कहा गया था कि सार्वजनिक भूमि पर स्थापित मूर्ति को हटाया जाए। हालांकि, अदालत ने उस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह संभवतः राजनीतिक उद्देश्यों से दायर की गई थी।
इसके बाद अदालत ने स्वतः संज्ञान (suo motu) लेते हुए कहा कि उसे अक्सर ऐसी याचिकाएं मिलती हैं, जिनमें सार्वजनिक सड़कों या सरकारी भूमि पर मूर्तियों की स्थापना या हटाने की मांग की जाती है।

राज्य सरकार ने अदालत को एक हलफनामा दाखिल कर बताया कि सुल्तानपुर नगर पालिका ने पीडब्ल्यूडी भूमि पर दो मूर्तियां स्थापित की हैं।
हालांकि, जब अदालत ने यह पूछा कि इन मूर्तियों को हटाने की प्रक्रिया क्या है, तो जिलाधिकारी द्वारा दाखिल हलफनामे में इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। इस पर अदालत ने असंतोष जताया और नया व विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया।

READ ALSO  कौशल विकास निगम घोटाला: सुप्रीम कोर्ट टीडीपी नेता एन चंद्रबाबू नायडू की याचिका पर 3 अक्टूबर को सुनवाई करेगा

साथ ही, अदालत ने अपने कार्यालय को निर्देश दिया कि सुल्तानपुर नगर पालिका को मामले में विपक्षी पक्ष (opposite party) बनाया जाए और उसके कार्यपालक अधिकारी से पूछा कि किस नियम या अधिकार के तहत पूर्व विधायक की मूर्ति पीडब्ल्यूडी भूमि पर स्थापित की गई।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles