लखनऊ खंडपीठ ने बुधवार को बाराबंकी स्थित श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी को बड़ी राहत दी। अदालत ने विश्वविद्यालय अधिकारियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए ग्राम सभा भूमि पर कथित अतिक्रमण के विरुद्ध की जा रही तोड़फोड़ की कार्रवाई भी फिलहाल स्थगित कर दी।
राहत दो अलग-अलग पीठों द्वारा दी गई।
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिज़वी की खंडपीठ ने 3 सितंबर को बाराबंकी कोतवाली में दर्ज एफआईआर से संबंधित मामले में विश्वविद्यालय अधिकारियों की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी। एफआईआर में धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप लगाया गया है।
इसी बीच, न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने तहसील द्वारा 25 अगस्त को पारित आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें कथित अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए गए थे। अदालत ने कहा कि जब तक विश्वविद्यालय की अपील पर जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) निर्णय नहीं ले लेते, तब तक कोई तोड़फोड़ की कार्रवाई न की जाए।

हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को 25 सितंबर तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और डीएम को आदेश दिया है कि वह उसके 10 दिनों के भीतर अंतरिम आवेदन का निस्तारण करें।
यह मुकदमा उस समय आया है जब विश्वविद्यालय हाल में छात्र आंदोलनों के कारण विवादों में रहा। 1 सितंबर को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने विधि कार्यक्रम में अनियमितताओं का आरोप लगाकर विरोध प्रदर्शन किया था। छात्रों का कहना था कि पाठ्यक्रम को बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त नहीं है, जिससे उनके भविष्य पर संकट मंडरा रहा है।
प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया, जिसके बाद चार पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया। इसके पश्चात विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई।
अंतरिम आदेशों से विश्वविद्यालय को फिलहाल गिरफ्तारी और तोड़फोड़ की कार्रवाई से राहत मिल गई है। अब अगला कदम डीएम के निर्णय और हाईकोर्ट में दाखिल होने वाले जवाबों पर निर्भर करेगा।