बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर निर्माण का हाईकोर्ट में विरोध

मंदिर के कार्यवाहकों ने सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष दावा किया कि मथुरा में बांके बिहारी मंदिर के लिए गलियारे के निर्माण से पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन करते हुए कुछ प्राचीन मंदिरों को ध्वस्त कर दिया जाएगा।

मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ मथुरा के आनंद शर्मा और एक अन्य व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पिछले साल अगस्त में बांके बिहार मंदिर में भगदड़ की जांच की मांग की गई थी।

READ ALSO  चेक चोरी होने की सूचना पुलिस को देने के बाद चेक का भुगतान रोकने के कारण चेक का अनादर धारा 138 एनआई एक्ट के दायरे में नहीं आता: हाईकोर्ट

सोमवार को सुनवाई के दौरान आरोप लगाया गया कि सरकार वृन्दावन की कुंज गली में दो मंदिरों की स्थिति और संरचना बदलना चाहती है.

यह भी दावा किया गया कि बांके बिहारी मंदिर के आसपास अन्य प्राचीन मंदिर भी हैं जिन्हें राज्य सरकार ध्वस्त करने जा रही है.

मंदिर की देखभाल करने वालों ने दलील दी कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 के तहत ऐसे मंदिरों को नहीं तोड़ा जाना चाहिए.

सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी.

READ ALSO  सांगली कोर्ट ने नाबालिग लड़की का यौन शोषण करने के आरोप में महिला, पुरुष को 10 साल की जेल की सजा सुनाई है

इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार तीर्थयात्रियों को सुविधाएं देने के लिए बांके बिहारी मंदिर से सटी पांच एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर कॉरिडोर बनाने की योजना बना रही है.

कोर्ट ने राज्य सरकार से बांकेबिहारी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के प्रबंधन को लेकर अपना रुख साफ करने को कहा था.

Ad 20- WhatsApp Banner
READ ALSO  मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने न्यायाधीशों के खिलाफ झूठी शिकायतें करने के लिए वकील पर ₹4 लाख का जुर्माना लगाया

Related Articles

Latest Articles