इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस राजन रॉय को लखनऊ पीठ का सीनियर जज नामित किया

एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक आदेश में, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने न्यायमूर्ति राजन रॉय को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ का सीनियर जज नामित किया है। यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट नियम, 1952 के तहत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए जारी किया गया है और इसके अंतर्गत न्यायमूर्ति रॉय को लखनऊ पीठ पर प्रशासनिक और क्षेत्राधिकार से संबंधित कई जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।

यह नियुक्ति न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी के 3 अगस्त को सेवानिवृत्त होने के कारण की गई है।

मुख्य न्यायाधीश द्वारा 3 अगस्त 2025 को जारी औपचारिक आदेश में लखनऊ पीठ के प्रशासनिक कार्यकलापों का उल्लेख किया गया है। नियम 9, अध्याय V, इलाहाबाद हाईकोर्ट नियमावली, 1952 के अंतर्गत प्राप्त अधिकारों का हवाला देते हुए मुख्य न्यायाधीश ने लखनऊ पीठ में कार्यरत न्यायमूर्ति राजन रॉय को सीनियर जज नियुक्त किया है। आदेश में इस पद के साथ संबंधित विशेष अधिकारों और कर्तव्यों का विस्तार से उल्लेख किया गया है।

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न्यायमूर्ति राजन रॉय के बारे में:

इलाहाबाद हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, न्यायमूर्ति राजन रॉय वर्तमान में लखनऊ पीठ में कार्यरत सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। वे हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति के सदस्य भी हैं।

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उनका जन्म 15 अगस्त 1965 को हुआ था। वे बार से सीधे हाईकोर्ट में पदोन्नत हुए थे, जिसका अर्थ है कि वे पहले एक अधिवक्ता के रूप में कार्यरत थे।

उनकी न्यायिक सेवा की शुरुआत 3 फरवरी 2014 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई थी। आधिकारिक अभिलेखों के अनुसार, न्यायमूर्ति रॉय 14 अगस्त 2027 को सेवानिवृत्त होंगे।

आदेश का विवरण:

उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और उसमें लिखा गया है:

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“नियम 9, अध्याय V, इलाहाबाद हाईकोर्ट नियमावली, 1952 के अनुसार, मा. श्री न्यायमूर्ति राजन रॉय, जो वर्तमान में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में कार्यरत हैं, उन्हें लखनऊ पीठ का सीनियर जज नामित किया जाता है और उन्हें निम्नलिखित कार्यों एवं अधिकारों के निष्पादन हेतु अधिकृत किया जाता है:”

आदेश में न्यायमूर्ति रॉय को सौंपे गए दायित्व निम्नलिखित हैं:

  1. हाईकोर्ट लखनऊ पीठ की रजिस्ट्री के कार्यों का आवंटन (न्यायिक अधिकारियों से संबंधित मामलों को छोड़कर)।
  2. लॉ क्लर्क्स (प्रशिक्षु) की नियुक्ति से संबंधित मामलों का निस्तारण।
  3. हाईकोर्ट के लॉन का आयोजनों एवं अन्य कार्यों हेतु उपयोग की अनुमति देना।
  4. मा. न्यायाधीशों के स्वागत एवं विदाई समारोह तथा फुल कोर्ट रेफरेंस का प्रबंधन।
  5. इंटर्नशिप से संबंधित सभी मामलों की निगरानी।
  6. फ्रैंकिंग मशीन की स्थापना, उपयोग एवं संचालन से जुड़े मामलों की देखरेख।
  7. प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों, छात्रों तथा अन्य विभागों के अधिकारियों को न्यायालय परिसर का दौरा एवं न्यायिक कार्यवाही देखने की अनुमति प्रदान करना।
  8. एमिकस क्यूरी (Amicus Curiae) की सूची तैयार करने की जिम्मेदारी।
  9. कॉज लिस्ट सब्सक्रिप्शन शुल्क से संबंधित मामलों का निस्तारण।
  10. ₹20,000/- से अधिक एवं ₹1,00,000/- से कम मूल्य की स्टेशनरी वस्तुओं की खरीद की स्वीकृति (स्वीकृत दरों पर अथवा जहां स्वीकृत दरें नहीं हैं, वहां खुले बाजार से कोटेशन आमंत्रित कर)।
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