इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि लिव-इन संबंध समाप्त होने के बाद एक महिला के लिए अकेले रहना मुश्किल होता है क्योंकि ज्यादातर बार, भारतीय समाज ऐसे रिश्तों को स्वीकार और मान्यता नहीं देता है।
अदालत ने ये टिप्पणियां एक व्यक्ति द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कीं, जिसे अपने लिव-इन पार्टनर से शादी नहीं करने के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिससे उसने शादी करने का वादा किया था।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की पीठ ने उस व्यक्ति को जमानत दे दी लेकिन टिप्पणी की कि ऐसे मामलों में महिलाओं के पास अपने सहयोगियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, दंपति एक साल से लिव इन रिलेशनशिप में थे और महिला के पिछले विवाह से दो बच्चे थे और वह याचिकाकर्ता के साथ संबंध के कारण गर्भवती भी हो गई थी लेकिन उसने उससे शादी करने से इनकार कर दिया।
आरोपी ने अदालत के समक्ष कहा कि उसे मामले में फंसाया गया है। आगे यह तर्क दिया गया कि महिला बालिग है जो अपने कृत्य के परिणामों को समझती है।
शीर्षक: आदित्य राज वर्मा बनाम राज्य