विभागीय जांच लंबित होने मात्र से नहीं रोका जा सकता अवकाश नकदीकरण भुगतान: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण निगम द्वारा एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को अवकाश नकदीकरण (लीव एनकैशमेंट) का भुगतान न देने के आदेश को निरस्त कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि केवल विभागीय जांच लंबित होने के आधार पर अवकाश नकदीकरण रोका नहीं जा सकता।

पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता अजय कुमार मिश्रा 31 जुलाई 2024 को परियोजना प्रबंधक (सिविल) के पद से उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण निगम से सेवानिवृत्त हुए थे। निगम ने 15 फरवरी 2025 को आदेश पारित कर याचिकाकर्ता को “नो ड्यूज सर्टिफिकेट” जारी करने से इनकार किया और अवकाश नकदीकरण का भुगतान रोक दिया। इसका कारण बताया गया कि उनके खिलाफ 10 जून 2020 से विभागीय जांच लंबित है।

READ ALSO  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धार्मिक ट्रस्टों के नाम पर जाली दस्तावेज बनाने वाले गिरोहों पर कार्रवाई के आदेश दिए

याचिकाकर्ता की दलीलें

अधिवक्ता शिवांशु गोस्वामी, अर्पित वर्मा और प्रेरणा जलान की ओर से पेश याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि विभागीय जांच लंबित होने मात्र से अवकाश नकदीकरण रोका जाना कानूनन गलत है। उन्होंने मसूद अहमद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य [2023:AHC-LKO:47936] और मधुसूदन अग्रवाल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य [रिट-ए संख्या 36019/2008, निर्णय दिनांक 18.04.2015] का हवाला दिया, जिनमें यह सिद्धांत स्थापित किया गया है कि अवकाश नकदीकरण का भुगतान विभागीय या आपराधिक कार्यवाही लंबित होने के आधार पर नहीं रोका जा सकता।

Video thumbnail

प्रतिवादियों की स्थिति

प्रतिवादी निगम की ओर से अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री उपस्थित हुईं। उन्होंने उपरोक्त निर्णयों में स्थापित विधिक सिद्धांत का विरोध नहीं किया। राज्य की ओर से स्थायी अधिवक्ता व अधिवक्ता शिशिर जैन उपस्थित थे।

READ ALSO  Law is Doomed if Law Enforcement Agency Itself Acts Illegally; Allahabad HC Summons SP On Allegation of Forcible Eviction

न्यायालय का विश्लेषण

न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकलपीठ ने कहा कि पूर्व निर्णयों के अनुसार, यदि कोई अन्य कानूनी अड़चन नहीं हो, तो विभागीय जांच लंबित होने मात्र से अवकाश नकदीकरण रोका नहीं जा सकता।

न्यायालय ने कहा:

“उपरोक्त निर्णय का अवलोकन करने पर यह स्पष्ट होता है कि इस न्यायालय ने मधुसूदन अग्रवाल बनाम राज्य मामले में यह निर्णय दिया है कि विभागीय जांच या आपराधिक कार्यवाही लंबित होने के आधार पर अवकाश नकदीकरण को रोका नहीं जा सकता।”

न्यायालय का आदेश

न्यायालय ने याचिका स्वीकार करते हुए दिनांक 15 फरवरी 2025 के आदेश को रद्द कर दिया और प्रतिवादियों को निर्देशित किया कि:

  • यदि कोई अन्य विधिक बाधा न हो तो याचिकाकर्ता को “नो ड्यूज सर्टिफिकेट” जारी किया जाए
  • आठ सप्ताह के भीतर अवकाश नकदीकरण की राशि का भुगतान किया जाए
  • साथ ही विलंबित भुगतान के लिए देय राशि पर ब्याज के भुगतान पर भी विचार किया जाए
READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट का हाई कोर्ट जजों पर कोई अनुशासनात्मक नियंत्रण नहीं है; केरल HC ने सेवानिवृत्त CJ के खिलाफ इन-हाउस कार्रवाई की मांग वाली याचिका ख़ारिज की

अजय कुमार मिश्रा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य | रिट-ए संख्या 8428/2025 

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles