इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को कृष्ण जन्मभूमि–शाही ईदगाह मस्जिद विवाद की अगली सुनवाई के लिए 7 नवंबर की तारीख तय की। यह मामला अब न्यायमूर्ति अविनाश सक्सेना के समक्ष सुना जाएगा। इससे पहले इस मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा का तबादला लखनऊ पीठ में हो गया है, जिसके बाद न्यायमूर्ति सक्सेना को इस मामले की सुनवाई के लिए नामित किया गया है।
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सक्सेना ने दस्तावेजों का सत्यापन किया और पक्षकारों के वकीलों को निर्देश दिया कि वे लंबित आवेदनों पर अपना जवाब दाखिल करें। अदालत ने यह भी कहा कि जिन मामलों में अब तक लिखित बयान दाखिल नहीं किए गए हैं, उन्हें शीघ्र दाखिल किया जाए, ताकि आगामी सुनवाई में प्रक्रिया पूरी हो सके।
यह विवाद मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर है, जो कृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर के पास स्थित है। हिंदू पक्ष का आरोप है कि मुगल बादशाह औरंगज़ेब के शासनकाल में भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर बने मंदिर को तोड़कर इस मस्जिद का निर्माण किया गया।

हिंदू पक्ष ने इस विवाद से जुड़ी 18 वाद दाखिल किए हैं, जिनमें शाही ईदगाह संरचना को “हटाने” के बाद भूमि पर कब्ज़ा देने, मंदिर को पुनर्स्थापित करने और स्थायी निषेधाज्ञा जारी करने की मांग की गई है।
1 अगस्त 2024 को हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था जिनमें हिंदू पक्ष की वादों की प्रवर्तनीयता (maintainability) को चुनौती दी गई थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि ये वाद सीमा अधिनियम (Limitation Act), वक्फ अधिनियम (Waqf Act) और Places of Worship (Special Provisions) Act, 1991 के तहत प्रतिबंधित नहीं हैं। 1991 का यह कानून 15 अगस्त 1947 को किसी धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, उसमें परिवर्तन पर रोक लगाता है।
अब 7 नवंबर को अगली सुनवाई में अदालत लंबित आवेदनों पर दाखिल जवाबों और लिखित बयानों पर विचार करेगी, जिसके बाद इस लंबे समय से चल रहे विवाद में आगे की कानूनी कार्यवाही का मार्ग प्रशस्त होगा।