इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की कार्यकारी परिषद को एक अंतिम अवसर देते हुए निर्देश दिया है कि वह सहायक प्रोफेसर डॉ. सुशील कुमार दुबे की लटकी हुई पदोन्नति पर एक माह के भीतर अंतिम निर्णय ले।
डॉ. दुबे ने अवमानना याचिका दायर कर बताया कि 4 जून 2021 को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में उन्हें सहायक प्रोफेसर स्टेज-2 से स्टेज-3 पर पदोन्नत करने की सिफारिश की गई थी। परिषद के स्पष्ट निर्णय के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब तक इस प्रस्ताव को लागू नहीं किया।
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान के समक्ष विश्वविद्यालय की ओर से 9 अक्टूबर 2025 को पारित एक नया प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। इस प्रस्ताव में कार्यकारी परिषद ने पदोन्नति के मुद्दे पर किसी वरिष्ठ अधिवक्ता से विधिक राय लेने का निर्णय किया है और आदेशों के क्रियान्वयन हेतु एक माह का समय मांगा है।
हाईकोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय को पुनर्विचार के लिए पर्याप्त समय पहले ही दिया जा चुका है, लेकिन अंतिम अवसर के रूप में एक माह का अतिरिक्त समय और दिया जा रहा है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय पूर्ववर्ती रिट कोर्ट के आदेश के अनुरूप ही लिया जाना चाहिए।
अपने 12 नवंबर के आदेश में अदालत ने चेतावनी दी,
“यदि अगली तारीख तक कार्यकारी परिषद का अंतिम निर्णय इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जाता है, तो बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति, जो कार्यकारी परिषद के पदेन अध्यक्ष हैं, उन्हें व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होना होगा।”
मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर 2025 को होगी।




