इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि राज्य के सभी जिलाधिकारियों को गैंगस्टर एक्ट लागू करने से संबंधित सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों से अवगत कराया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि आवश्यकता हो तो गैंगचार्ट तैयार करने की प्रक्रिया को लेकर सक्षम अधिकारियों के लिए नया प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने शब्बीर हुसैन व अन्य बनाम राज्य व अन्य [मुअसं. 5658/2025] मामले में दिनांक 27 जून 2025 को पारित किया। याचिका में 28 अप्रैल 2025 को थाना भीरा, जनपद खीरी में गैंगस्टर अधिनियम, 1986 की धारा 2(ब)(i) और 3 के तहत दर्ज एफआईआर संख्या 172/2025 और उससे संबंधित गैंगचार्ट को चुनौती दी गई थी।
याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सैयद रजा मेहदी तथा राज्य की ओर से शासकीय अधिवक्ता उपस्थित हुए।

याचिकाकर्ता की दलीलें
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दलील दी कि एफआईआर के साथ संलग्न गैंगचार्ट की स्वीकृति जिला मजिस्ट्रेट द्वारा गैंगस्टर अधिनियम, 1986 एवं गैंगस्टर नियमावली, 2021 के नियम 16 के अनुसार नहीं दी गई। उन्होंने सन्नी मिश्रा उर्फ संजयन कुमार मिश्रा बनाम राज्य, 2023 SCC OnLine All 2975; अब्दुल लतीफ उर्फ मुस्ताक खान बनाम राज्य, 2024 SCC OnLine All 3900; तथा विनोद बिहारी लाल बनाम राज्य, 2025 SCC OnLine SC 1216 जैसे फैसलों का उल्लेख किया।
राज्य सरकार की ओर से दलीलों का विरोध किया गया, परंतु याची की उक्त आपत्तियों से इंकार नहीं किया गया।
कोर्ट का विश्लेषण और आदेश
कोर्ट ने पाया कि इस मामले में लखीमपुर खीरी की जिलाधिकारी ने गैंगचार्ट को मात्र यह लिखकर स्वीकृत कर दिया कि “पुलिस अधीक्षक एवं समिति के साथ चर्चा कर प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई।” कोर्ट ने इसे स्पष्ट रूप से मनोयोग के अभाव और गैंगस्टर नियमावली का उल्लंघन माना।
कोर्ट ने कहा:
“यह तथ्य दर्शाता है कि राज्य सरकार द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का लखीमपुर खीरी की जिलाधिकारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और उन्होंने 02.12.2024 की राज्य सरकार की गाइडलाइंस की भी अनदेखी की, जो हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के पूर्णत: विपरीत है।”
कोर्ट ने निर्देश दिया:
“मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देशित किया जाता है कि वह इस विषय को संज्ञान में लें और सभी जिलाधिकारियों को गैंगचार्ट तैयार करने और गैंगस्टर एक्ट के प्रवर्तन से संबंधित सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों से अवगत कराएं। यदि आवश्यक हो, तो ऐसे सक्षम अधिकारियों के लिए नया प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाए।”
कोर्ट ने सन्नी मिश्रा, अब्दुल लतीफ, राजीव कुमार @ राजू, विनोद बिहारी लाल, गोरख नाथ मिश्रा और लाल मोहम्मद बनाम राज्य जैसे कई मामलों का हवाला देते हुए कहा कि गैंगस्टर अधिनियम जैसे कठोर कानूनों को लागू करते समय निर्धारित प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि बिना यथोचित मनोयोग के गैंगचार्ट पर हस्ताक्षर करना केवल औपचारिकता भर है, जो नियमों का उल्लंघन है।
अंततः कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए संबंधित एफआईआर एवं गैंगचार्ट को रद्द कर दिया। साथ ही यह स्पष्ट किया कि सक्षम प्राधिकारी यदि चाहें तो सभी विधिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए गैंगस्टर अधिनियम के तहत नई कार्यवाही प्रारंभ कर सकते हैं।