इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को यूट्यूबर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर इलविश यादव द्वारा सांप के जहर मामले में उनके खिलाफ दाखिल चार्जशीट और आपराधिक कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।
यह मामला कथित रूप से रेव पार्टियों में नशीले पदार्थ के तौर पर सांप के जहर के इस्तेमाल से जुड़ा है, जिनमें भारतीय और विदेशी नागरिकों की उपस्थिति की बात कही गई थी।
न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने यादव की याचिका खारिज करते हुए कहा कि एफआईआर और चार्जशीट में लगाए गए आरोपों की सत्यता अब मुकदमे के दौरान तय होगी।
यादव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नवीन सिन्हा और अधिवक्ता निपुण सिंह ने दलील दी कि जिस व्यक्ति ने एफआईआर दर्ज कराई, वह वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत पशु कल्याण अधिकारी नहीं था। उन्होंने कहा कि यादव उस पार्टी में मौजूद नहीं थे, जो नोएडा में आयोजित हुई थी, और न ही उनके पास से कोई सांप, मादक या साइकोट्रोपिक पदार्थ बरामद हुए।
याचिकाकर्ता पक्ष ने यह भी कहा कि यादव का किसी सह-आरोपी से कोई संबंध नहीं था और मार्च, पिछले वर्ष, नोएडा पुलिस द्वारा हुई गिरफ्तारी के बाद उन्हें एक “प्रसिद्ध इन्फ्लुएंसर” और रियलिटी टेलीविजन शो में प्रतिभागी होने के कारण अनावश्यक मीडिया जांच का सामना करना पड़ा।
याचिका में यह भी कहा गया कि पुलिस अधिकारियों ने मामले को सनसनीखेज बनाने के लिए एनडीपीएस एक्ट की धारा 27 और 27ए (नशीले पदार्थों के सेवन और अवैध तस्करी में वित्तीय सहायता) के तहत मामला दर्ज किया, हालांकि बाद में सबूतों के अभाव में ये धाराएं हटा दी गईं।
सरकारी पक्ष की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जांच में यादव की भूमिका सांपों की आपूर्ति करने में पाई गई थी, जिन लोगों के पास से बाद में सांप बरामद किए गए।