इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह समेकित बाल विकास योजना (ICDS) के तहत लाभार्थियों को गर्म पका हुआ भोजन और टेक-होम राशन (घर ले जाने योग्य भोजन) वितरित करे। कोर्ट ने सरकार द्वारा अपनाए गए सूखा पोषण (ड्राई राशन) वितरण मॉडल को योजना के प्रावधानों के खिलाफ बताया।
न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की लखनऊ खंडपीठ ने यह आदेश लखीमपुर निवासी Shipra Devi और अन्य द्वारा दायर कई जनहित याचिकाओं को निपटाते हुए दिया। इन याचिकाओं में राज्य सरकार द्वारा ICDS के तहत सूखा राशन वितरित किए जाने की वैधता को चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने 29 जुलाई को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था और अब स्पष्ट रूप से कहा है कि यह 50 साल पुरानी योजना अपने “वास्तविक स्वरूप” में लागू की जानी चाहिए, ताकि 6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण की समस्या से प्रभावी तरीके से निपटा जा सके।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि राज्य सरकार द्वारा स्थानीय स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से सूखा राशन वितरित करने का निर्णय योजना के मूल नियमों के विरुद्ध है, जो कि आंगनवाड़ी केंद्रों पर गर्म पके भोजन और टेक-होम राशन की व्यवस्था की बात करता है।
सरकार ने अपने पक्ष में तर्क दिया कि SHGs के जरिए स्थानीय स्तर पर राशन वितरण से पोषण की गुणवत्ता बेहतर होगी और ये याचिकाएं विधिसम्मत नहीं हैं। हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा, “स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाना एक सराहनीय कदम है, लेकिन यह नीति संबंधित नियमों और विधिक प्रावधानों के उल्लंघन को उचित नहीं ठहरा सकती।”