अयोध्या मामले में नाबालिग बलात्कार पीड़िता के गर्भपात के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भ्रूण की डीएनए रिपोर्ट मांगी है। यह निर्देश अपराध के आरोपी 71 वर्षीय बेकरी मालिक मोईद की जमानत पर सुनवाई के दौरान आया। लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक को एक सप्ताह के भीतर डीएनए परिणाम उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।
30 जुलाई को एक कर्मचारी के साथ गिरफ्तार किए गए मोईद ने जमानत के लिए याचिका दायर की है, जिसमें दावा किया गया है कि मामले में उनका फंसाया जाना राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने अपने खिलाफ आरोपों से संबंधित कोई भी दस्तावेज न मिलने की भी शिकायत की है। पीड़िता, जो नाबालिग है, बलात्कार के परिणामस्वरूप गर्भवती हो गई थी और बाद में उसका गर्भपात हो गया था, जिसमें पितृत्व का पता लगाने के लिए भ्रूण के ऊतकों को डीएनए विश्लेषण के लिए भेजा गया था।
राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त महाधिवक्ता वीके शाही ने आरोपों की गंभीर प्रकृति और पीड़िता की भेद्यता पर जोर देते हुए जमानत याचिका के खिलाफ तर्क दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को निर्धारित है, जहां कार्यवाही में डीएनए रिपोर्ट की महत्वपूर्ण भूमिका होने की उम्मीद है।