इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक मामले की सुनवाई के दौरान अदालती कार्यवाही की बिना अनुमति वीडियो रिकॉर्डिंग करने पर एक पैरोकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की पीठ ने इस कृत्य को न्याय प्रशासन में गंभीर हस्तक्षेप मानते हुए इसे प्रथम दृष्टया आपराधिक अवमानना (Criminal Contempt) का मामला बताया है।
यह आदेश रवेन्द्र कुमार धोबी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 3 अन्य (Criminal Misc. Bail Application No. 27453 of 2025) के मामले में पारित किया गया।
न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की पीठ के समक्ष एक जमानत अर्जी (Bail Application) पर सुनवाई चल रही थी। आवेदक की ओर से अधिवक्ता श्री बृज गोपाल सिंह और श्री बृज राज सिंह उपस्थित थे, जबकि विपक्षी पक्ष का प्रतिनिधित्व हाई कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी की अधिवक्ता सुश्री पूजा मिश्रा और राज्य विधि अधिकारी श्री राजेंद्र प्रसाद सिंह कर रहे थे।
बहस के दौरान, कोर्ट ने पाया कि आरोपी का पैरोकार, अमित कुमार, बिना किसी पूर्व अनुमति के अपने मोबाइल फोन से अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग कर रहा था।
पूछताछ करने पर अमित कुमार ने कार्यवाही रिकॉर्ड करने की बात स्वीकार की। हाईकोर्ट ने इस आचरण को अत्यंत गंभीरता से लिया और इसे ‘कंटेम्पट ऑफ कोर्ट्स एक्ट’ (Contempt of Courts Act) के तहत आपराधिक अवमानना की श्रेणी में रखा।
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा:
“अमित, जो कि इस मामले में आरोपी का पैरोकार है, का उक्त कृत्य कोर्ट की अवमानना (Contempt of Court) है। यह कार्य न्याय प्रशासन (Administration of Justice) में गंभीर हस्तक्षेप है और ‘कंटेम्पट ऑफ कोर्ट्स एक्ट’ के तहत प्रथम दृष्टया आपराधिक अवमानना का मामला बनता है।”
एकल पीठ ने मामले की गंभीरता पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा:
“कोर्ट इस बात से संतुष्ट है कि अवमानना इस प्रकृति की है कि यह न्याय की उचित प्रक्रिया में काफी हद तक हस्तक्षेप करती है।”
परिणामस्वरूप, हाईकोर्ट ने अमित कुमार को नोटिस जारी करते हुए 18 दिसंबर, 2025 तक यह कारण बताने का निर्देश दिया है कि अनधिकृत वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।
न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने निर्देश दिया कि इस मामले को 18 दिसंबर, 2025 को सूचीबद्ध किया जाए। साथ ही, उन्होंने स्वयं को इस अवमानना मामले की सुनवाई से अलग कर लिया है और निर्देश दिया है कि माननीय मुख्य न्यायाधीश या वरिष्ठ न्यायाधीश से नामांकन प्राप्त करने के बाद इसे किसी अन्य उपयुक्त पीठ (जो उनके समक्ष न हो) के सामने पेश किया जाए।
वकील:
- आवेदक के लिए: बृज गोपाल सिंह, बृज राज सिंह
- विपक्षी पक्ष के लिए: पूजा मिश्रा (HCLSC), राजेंद्र प्रसाद सिंह (राज्य विधि अधिकारी)

