इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान को उस मामले में ज़मानत दे दी जिसमें आरोप है कि रामपुर की डूंगरपुर कॉलोनी के निवासियों को जबरन बेदखल किया गया था।
न्यायमूर्ति समीर जैन ने खान की अपील पर ज़मानत मंज़ूर की। खान ने रामपुर की एमपी/एमएलए अदालत द्वारा दी गई 10 साल की सज़ा और दोषसिद्धि को चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। ज़मानत की अर्जी आज़म खान और सह-आरोपी ठेकेदार बरक़त अली दोनों ने लगाई थी। अली को एमपी/एमएलए अदालत ने 7 साल की सज़ा सुनाई थी।

30 मई, 2023 को रामपुर की एमपी/एमएलए अदालत ने आज़म खान को 10 साल कैद की सज़ा सुनाई थी, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। अली ने भी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील दायर की थी।
यह मामला अगस्त 2019 में रामपुर के गंज थाने में दर्ज हुआ था। शिकायतकर्ता अब्रार ने आरोप लगाया था कि दिसंबर 2016 में खान, सेवानिवृत्त पुलिस क्षेत्राधिकारी अले हसन खान और अली ने उस पर हमला किया, जान से मारने की धमकी दी और मकान को तोड़ दिया।
अब्रार की शिकायत के अलावा डूंगरपुर कॉलोनी के निवासियों ने 12 मामले दर्ज कराए थे। इनमें डकैती, चोरी और मारपीट जैसे गंभीर अपराधों के आरोप शामिल थे।
हाईकोर्ट ने ज़मानत तो दे दी है, लेकिन दोषसिद्धि के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई अभी जारी है। मामले की अगली सुनवाई आने वाले समय में होगी।