इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ₹95 करोड़ के एक बड़े साइबर फ्रॉड मामले में आरोपी विवेक जायसवाल को अग्रिम जमानत दे दी है। यह ठगी कथित तौर पर एक फर्जी ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से की गई थी।
न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने पिछले सप्ताह यह आदेश पारित किया। उन्होंने कहा कि यदि विवेक जायसवाल को गिरफ्तार किया जाता है तो उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए। कोर्ट ने यह निर्णय आरोपी द्वारा जांच और न्यायिक प्रक्रिया में पूरा सहयोग देने तथा समय-समय पर संबंधित अधिकारियों के समक्ष पेश होने के आश्वासन के आधार पर लिया।
यह मामला आजमगढ़ पुलिस द्वारा उजागर किए गए एक बड़े साइबर फ्रॉड रैकेट से जुड़ा है, जिसमें एक गैंग ने ‘क्रिकेट बज’ नाम की एक फर्जी गेमिंग वेबसाइट के ज़रिए लोगों को ठगा। पुलिस के अनुसार, इस गिरोह ने 208 बैंक खातों के माध्यम से करीब ₹95 करोड़ की ठगी की, जिसमें से लगभग ₹1 करोड़ की राशि को फ्रीज़ कर दिया गया है।

इस मामले में आजमगढ़ स्थित साइबर क्राइम थाने में भारतीय न्याय संहिता (BNS), सार्वजनिक जुआ अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने पहले ही इस गिरोह के सात सदस्यों को वाराणसी के बादलपुर थाना क्षेत्र के पांडेयपुर इलाके से गिरफ्तार कर लिया था।
गिरोह कथित तौर पर व्हाट्सएप, टेलीग्राम और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों को लुभाता था और ऑनलाइन गेम या टास्क के ज़रिए धन दुगुना-तिगुना करने का लालच देता था। पीड़ितों द्वारा पैसे ट्रांसफर करने के बाद, वह धन फर्जी खातों में भेज दिया जाता था।
आरोपी को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग करना होगा और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना अनिवार्य होगा।